नई तकनीकों का राजभाषा हिंदी में प्रसार करने का आह्वान
भावों को प्रकट करने के लिए मातृभाषा का होना जरूरी है
इंडिया न्यूज, पालमपुर (Palampur-Himachal Pradesh)
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-IBHT), पालमपुर में हिंदी सप्ताह (hindi week) का मुख्य समारोह बुधवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रो0 अनिल कुमार त्रिपाठी (Prof Anil Kumar Tripathi), निदेशक, विज्ञान संस्थान एवं आचार्य, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस (Director, Institute of Science and Professor, Banaras Hindu University, Banaras) रहे।
उन्होने ‘विज्ञान की विकास यात्रा का भविष्यन्मुखी पुनरावलोकन’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। अपने प्रशासनिक तथा शैक्षणिक अनुभव को सांझा करते हुए, उन्होंने नई तकनीकों का राजभाषा हिंदी में प्रसार करने का आह्वान किया। उन्होंने वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों द्वारा हिंदी माध्यम से किसानों से जुड़ने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपने संबोधन में अत्यन्त रोचकता के साथ विज्ञान के क्रमिक विकास यात्रा का वर्णन किया।
उन्होंने विज्ञान की उपलब्धियों और इसके दुष्परिणामों को सामने रखकर समाज के हित में आगे के शोध पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। साथ ही, वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हो रहे शोधों को भारत की परिस्थतियों के अनुकूल करने का सुझाव दिया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा0 संजय कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भावों को प्रकट करने के लिए मातृभाषा का होना जरूरी है। उन्होंने योग्यता आधारित आकलन और उसका समाज हित में सदुपयोग करने पर भी बल दिया।
उन्होंने समाज को सशक्त करने के लिए किसी विषय के मूलभूत ज्ञान की उपयोगिता के महत्व को समझाया। डा0 संजय ने संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को उनके उपयोगकर्ता तक पंहुचाने के लिए वैज्ञानिकों को सरल भाषा में प्रसार करने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर हिंदी सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया।
संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डा0 विपिन हल्लन ने मुख्य अतिथि का परिचय करवाया तथा वित्त एवं लेखा अधिकारी यशपाल ने धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम का संचालन हिंदी अधिकारी संजय कुमार द्वारा किया गया।