इंडिया न्यूज, केलंग (लाहौल व स्पीति)(Keylong-Lahul & Spiti-Himachal Pradesh)
सीएसआईआर-आईएचबीटी (csir-ihbt), पालमपुर (palampur) ने उच्च तुंगता जीवविज्ञान केन्द्र (high altitude biology center) (सेंटर फॉर हाई एल्टीट्यूड बायोलॉजी), रिबलिंग (ribling), केलांग (keylong), जिला लाहौल और स्पीति में तांदी पंचायत (tandi panchyat) के किसानों को सशक्त बनाने के लिए ’’ कम्पोस्ट बूस्टर सहित हींग, केसर, पुष्प रोपण सामग्री वितरण’’ (Asafoetida (hing), saffron (kesar), flower planting material distribution including compost booster) कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में डॉ0 राम लाल मारकंडा, माननीय तकनीकी शिक्षा मंत्री (Dr. Ram Lal Markanda, Hon’ble Minister of Technical Education), मुख्य अतिथि थे। शमशेर सिंह, सदस्य ट्राईबल सलाहकार समिति, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी भी इस अवसर पर उनके साथ उपस्थित थे। कार्यक्रम में तांदी पंचायत के कई किसानों, महिलाओं, बेरोजगार युवाओं ने भाग लिया। इसके अलावा मार्बल व मलंग गांवों के प्रधान व महिला मंडलों के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे।
इस अवसर पर डॉ0 राम लाल मारकंडा ने कार्यक्रम के दौरान किसानों और स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लाहौल एवं स्पीति के लोगों के कल्याण के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और किसानों और बेरोजगार युवाओं को संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों से लाभ उठाने के लिए कहा।
उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए सीएसआईआर -आईएचबीटी के सहयोग से उद्यमिता विकास और स्टार्ट-अप पर बल दिया। उन्होंने जिले में फ्लोरीकल्चर क्लस्टर बनाने, और जगला और शांशा में कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना के लिए संस्थान द्वारा की गई पहल की भी सराहना की। उन्होने कार्यकर्म के दौरान क्षेत्र के निवासियों को हींग के पौधे, केसर के घनकन्द, फूलों के बीज और कम्पोस्ट बूस्टर का वितरण भी किया।
इस अवसर पर डॉ0 संजय कुमार, निदेशक सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर (Dr. Sanjay Kumar, Director CSIR-IHBT Palampur) ने माननीय मंत्री का स्वागत करते हुए संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधान (research)और प्रसार गतिविधियों (dissemination activities) से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए हींग, केसर और व्यासवसायिक पुष्प खेती और इन फसलों के क्षेत्र-विस्तार के लिए संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होने फसल उत्पादकता में सुधार के लिए संस्थान द्वारा विकसित नॉयट सॉयल के क्षरण से खाद बनाने की तकनीक को भी सांझा किया।
समारोह में संस्थान के वैज्ञानिकों के एक समूह डॉ0 राकेश कुमार, डॉ0 अशोक यादव, डॉ0 अमित चावला और डॉ0 अशोक सिंह ने हींग, केसर और व्यावयसायिक पुष्प फसलों की खेती के लिए उनके द्वारा विकसित ’’कृषि तकनीक के पैकेज’’ पर हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा की।