इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala-Himachal Pradesh)
आपसी सहमति और मध्यस्तता से अधिकतर मामलों का निपटारा संभव हो सकता है जिससे जहां न्यायालयों में मुकदमों की संख्या कम होगी वहीं लोगों को सुलभ और समय पर न्याय मिलना सुनिश्चित हो सकेगा। यह विचार हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद ए0 सैयद (Chief Justice of Himachal Pradesh High Court Justice Amjad A. Syed) ने रविवार को धर्मशाला में स्थानीय पुलिस मैदान में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली (National Legal Services Authority, New Delhi) तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (State Legal Services Authority) के तत्वावधान में आयोजित विधिक सेवा महाशिविर की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। कार्यक्रम में प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना (State High Court Judge Justice Sabina), न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर (Judge Justice Vivek Thakur), राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव अशोक जैन (Ashok Jain, Member Secretary, National Legal Services Authority), राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रेम पाल रांटा (State Legal Services Authority member secretary Prem Pal Ranta) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उन्होने कहा कि समाज के सभी वर्गो में शांति और भाईचारा स्थापित करना कानून का अंतिम लक्ष्य है और न्याय (justice) प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार (fundamental right of every citizen) है। उन्होंने बताया कि ऐसे शिविरों का मूल उदेश्य लोगों में न्याय के बारे में साक्षरता व जागरूकता पैदा करना है। इसके अतिरिक्त लोगों को सामान्य संवाद से कानून के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक कर सुलह व समझौतों द्वारा फैसला करने के लिए प्रेरित करना हैं।
उन्होने बताया कि ’’नालसा’’ (NALSA) के द्वारा गत अगस्त माह में देश में आयोजित की गई लोक अदालतों के माध्यम से आपसी सहमति से एक करोड़ मामलों का निपटारा सुनिश्चित किया गया था, जिसमें से हिमाचल प्रदेश में प्राप्त हुए 48 हजार मामलों में से 24 हजार मामलों का निपटारा कर 69 करोड़ रूपये की तय राशि का भुगतान किया गया था।
उन्होंने कहा कि पीड़ित को सुलभता और समय पर न्याय मिल सके इसके लिए पूर्ण प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है वहीं इसके लिए हर नागरिक को अपने मौलिक एवं कानूनी अधिकारों के साथ-साथ अपने दायित्व के सम्बन्ध में संपूर्ण जानकारी होना भी आवश्यक है।
उन्होेंने कहा कि केन्द्र तथा प्रदेश सरकार समाज के पिछडे, वंचित तथा गरीब वर्ग के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं जिनका लाभ पात्र लोगों तक पहुंचाने में प्रशासन के साथ-साथ पंचायत प्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी तथा आशावर्कर सहित समाज के अन्य वर्गों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने सभी लोगों से समाज के गरीब लोगों की भलाई के लिए कार्य करने का आहवान किया।
प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायामूर्ति सबीना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि पैरा लीगल वालंटियर्सज के माध्यम से हर घर तक विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों बारे जानकारी पहुंचाने के साथ कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए पात्र लोगों की पहचान हेतु विशेष अभियान शुरू किया गया है। जिसके तहत अब तक 39231 लोगों से सम्पर्क कर 1500 से अधिक लोगों की कानूनी सहायता के लिए पहचान की गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण प्रदेश के दूरस्थ व जनजातीय जिलों में भी अपनी सेवाओं के माध्यम से लोगों तक जानकारी पहुंचाने के साथ विधिक सेवा शिविरों का आयोजन सुनिश्चित बना रहा है।
प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायामूर्ति विवेक ठाकुर ने भी विभिन्न कानूनी पहलुओं पर प्रकाश ड़ाला। उन्होंने बताया कि विधिक सेवा शिविरों से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को निःशुल्क न्याय प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की जा रही है।
उन्होंने बताया कि लोक अदालतों के माध्यम से करोड़ों मामलों का निपटारा सुनिश्चित हुआ है जिसमें न्यायालयों की मध्यस्थता से लोगों को जल्दी न्याय प्राप्त होने के साथ जहां न्यायालयों में मुकदमों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों स निचले स्तर पर आपसी सहमति से मामलों के निपटारे करने की दिशा में विशेष पहल करने का आहवान किया जिससे कम से कम मामलें न्यायालयों में प्रस्तुत हो।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव अशोक जैन ने भी विभिन्न कानूनी जानकारियां प्रदान कीं। उन्होंने बताया कि भारत विश्व का सबसे बड़ा विधिक सेवा नेटवर्क संचालित करता है, जिसके माध्यम से लोगों को सुलभ व समय पर न्याय दिलवाने के साथ उनकी कानूनी रूप से मदद की जा रही है।
उन्होंने बताया कि देश के 365 जिलों में पूर्णकालिक लीगल एड डिफेंस कोंसिल की नियुक्ति की जा रही है जिसमें से हिमाचल प्रदेश के 6 जिलोें को शामिल किया गया है जिसमें कांगड़ा जिला भी शामिल है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रेम पाल रांटा ने मुख्यअतिथि तथा अन्य मेहमानों का स्वागत किया तथा विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों पर प्रकाश ड़ाला। उन्होंने बताया कि ऐसे शिविरों के आयोजन से लोगों में विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रति विश्वास बढ़ा है।
इस अवसर पर मुख्यअतिथि द्वारा प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के 10 लाभार्थियों को लाभ प्रदान किये गए।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कांगड़ा अजय मैहता ने मुख्यअतिथि तथा सभी अतिथियों को धन्यवाद किया।
इस मौके पर प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा, न्यायमूर्ति विरेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य, सॉलिसिटर जनरल बलराम शर्मा, रजिस्ट्रार जनरल अरविन्द मल्होत्रा, एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय मैहता, उच्च न्यायालय बार कोंसिल के अध्यक्ष अजय कोचड़, बार एसोसिएसन के अध्यक्ष लवनीश शर्मा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव विजय लक्ष्मी, उपायुक्त डॉ0 निपुण जिंदल, जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन के अधिकारी, अधिवक्ता, पंचायत प्रतिनिधि, आंगनबाड़ी तथा आशावर्कर, विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।