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उपायुक्त कांगड़ा ने तकीपुर से किया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ

• LAST UPDATED : November 21, 2022

उपायुक्त कांगड़ा ने तकीपुर से किया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ

  • जिले में 3.80 लाख बच्चों को दी गई अल्बेंडाजोल की खुराक

इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala -Himachal Pradesh)

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (national deworming day) का शुभारंभ उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल (dr nipun jindal deputy commissioner kangra) ने सोमवार को कांगड़ा उपमंडल के तहत राजकीय प्राथमिक विद्यालय तकीपुर में बच्चों को अल्बेंडाजोल (albendazole) की खुराक (dose) खिलाकर किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदर्शन गुप्ता (Chief Medical Officer Dr. Gurdarshan Gupta) भी मौजूद रहे।

बता दें कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के उपलक्ष्य पर आज पूरे जिले में लगभग 3 लाख 80 हजार बच्चों को अल्बेंडाजोल की खुराक दी गई, वहीं करीब 1 लाख 22 हजार बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी गई।

डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों व किशारों का समग्र स्वास्थ्य तय बनाना है।

इसमें 1-18 वर्ष की आयु के बीच के सभी पूर्वस्कूली और स्कूली उम्र के बच्चों को स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से उनके अच्छे स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार करने के लिए कृमि नाशक दवा दी जाती है।

प्रशासन का प्रयास है कि शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक बच्चे को इस अभियान के तहत कवर किया जाए।

कैसे होती है पेट के कीड़ों की समस्या

उन्होंने बताया कि बच्चों के पेट में कीड़े उत्पन्न होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। दूषित जल स्रोतों से पानी ग्रहण करना, मिट्टी में खेलना और बिना हाथ धोए भोजन करना, सब्जियों को बिना धोए या छीले अथवा असावधानी से पकाना, जैसे कारणों से पेट के कीड़ों की समस्या हो सकती है।

इस संक्रमण से एनीमिया, कुपोषण तथा बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसलिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य संवर्धन के लिए प्रयास किए जाते हैं।

इससे कैसे बचें

डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि पेट के कीड़ों से बचने के लिए हमें बच्चों के जीवन में कुछ व्यवहारिक बदलाव करने आवश्यक हैं।

उन्होंने बताया कि इसके संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छ शौचालयों का उपयोग करना, बाहर शौच नहीं करना, हाथों की स्वच्छता, विशेष रूप से खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद अच्छे से हाथ धोना, नंगे पांव न घूमना, फलों और सब्जियों को सुरक्षित और साफ पानी में धोना, ठीक से पका हुआ भोजन करना जैसे व्यवहारों को बच्चों की जीवनचर्या का अंग बनाना चाहिए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि विटामिन ए की खुराक 5 साल तक के बच्चों को आंखों की बीमारियों से बचाव के लिए दी जाती है।

वहीं अल्बेंडाजोल की खुराक 1 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को दी जाती है।

उन्होंने बताया कि जो बच्चे आज दवाई की खुराक नहीं ले पाए, वह मॉपिंग अप वाले दिन इसे ले सकते हैं।

उन्होंने बताया कि छूटे हुए बच्चों को अल्बेंडाजोल की खुराक भी उस दिन दी जाएगी।

यह रहे उपस्थित

इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच तथा कार्यक्रम अधिकारी धर्मशाला डॉ वंदना मौजूद रहे।

 

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