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टीबी उन्मूलन अभियान के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत- डॉ0 निपुण जिंदल

• LAST UPDATED : December 18, 2022

टीबी उन्मूलन अभियान के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत- डॉ0 निपुण जिंदल

  • औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिध्यिों से बैठक कर नि-क्षय मित्र बनने का किया आह्वान

इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala-Himachal Pradesh)

टीबी उन्मूलन अभियान (TB eradication campaign) को सफल बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। टीबी रोगियों (tb patient) के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन द्वारा सभी आवश्यक प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन इससे पीड़ित लोगों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक बल प्रदान करने के लिए समाज के सभी घटकों का सहयोग भी आवश्यक है।

नि-क्षय मित्र (nikshay mitar) के रूप में औद्योगिक इकाईयों (industrial units) के सहयोग को लेकर उपायुक्त कार्यालय धर्मशाला में जिला कांगड़ा में स्थापित उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बैठक में उपायुक्त कांगड़ा डॉ0 निपुण जिंदल (Deputy Commissioner Kangra Dr. Nipun Jindal) ने यह बात कही।

उपायुक्त ऑफिस धर्मशाला में आयोजित इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा गंधर्वा राठौड़, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ0 गुरदर्शन गुप्ता सहित जिले के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से आए औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

नि-क्षय मित्र के तौर पर सहयोग को लेकर उपायुक्त कांगड़ा डॉ0 निपुण जिंदल ने उद्योगों के प्रतिनिधियों से टी.बी उन्मूलन में सहयोग देने की बात कही।

उन्होंने आग्रह किया कि औद्योगिक इकाईयां नि-क्षय मित्र बनकर टी.बी रोगियों की सहायता को आगे आएं और टीबी मुक्त कांगड़ा बनाने के संयुक्त प्रयासों में सहयोगी बनें।

उपायुक्त ने कहा कि क्षय रोग असाध्य रोग नहीं है। रोग की शीघ्र और सही जांच के बाद सफल उपचार से टी.बी को हराना संभव है।

नि-क्षय मित्र बने औद्योगिक इकाईयां

उन्होंने बताया कि नि-क्षय मित्र योजना के अंतर्गत औद्योगिक इकाईयां टीबी मरीजों को अपनी सुविधा के आधार पर 6 माह, एक साल या 3 साल तक पोषण संबंधी सहायता व मानसिक संबल प्रदान करने के लिए अडॉप्ट कर सकते हैं।

उपायुक्त ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया तथा कांगड़ा जिले के उद्योगों को अभियान को सफल बनाने के लिए आगे आकर मरीजों को न्यूट्रिशन, नैतिक बल व समर्थन प्रदान करने की अपील की।

उन्होंने बताया कि नि-क्षय मित्र के रूप में दी जाने वाली सहायता सरकार की ओर से प्रदान की जाने वाली चिकित्सीय सेवाओं एवं सहायता के अतिरिक्त होती है।

उन्होंने बताया कि नि-क्षय मित्र योजना में कांगड़ा जिले में वर्तमान में सामुदायिक सहायता प्राप्त करने के लिए सहमति देने वाले 1300 टी.बी रोगियों में से 650 रोगियों के लिए नि-क्षय मित्रों द्वारा सहायता की जा रही है।

वहीं लगभग इतने ही टीबी रोगियों के लिए नि-क्षय मित्रों की आवश्यकता है।

कैसे बनें नि-क्षय मित्र

उन्होंने बताया कि नि-क्षय मित्र के रूप में पंजीकरण के लिए नि-क्षय पोर्टल पर एक वेब पेज कम्यूनिटीस्पोर्ट डॉट निक्षय डॉट आइएन (communitysport.nikshay.in) बनाया गया है।

इस पर पंजीकरण करने पर एक विशिष्ट आईडी मिलती है जिसके अनुसार खंड चिकित्सा अधिकारी (block medical officer) या जिला क्षय रोग अधिकारी (district tb programe officer) नि-क्षय मित्र से संपर्क करके उनके साथ सामुदायिक सहायता प्राप्त करने के लिए सहमति देने वाले सक्रिय टी.बी रोगियों की सूची साझा करते हैं।

नि-क्षय मित्र उसके अनुसार सहायता का विकल्प चुन सकते हैं।

बैठक में उपायुक्त ने अभियान को सफल बनाने में सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि बैठक में जिले की औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही और उन्होंने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की बात कही।

इस अवसर पर डीटीओ डॉ0 राजेश के0 सूद सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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