इंडिया न्यूज (Himachal pradesh): हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाओं में छात्रों को कम परिणाम देने वाले शिक्षकों पर जवाबदेही तय होगी। यह फैसला हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने परीक्षा शुरूहोने से पहले लिया है। प्रदेश में शिक्षा के परिणाम बेहतर बनाने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के परिणाम के मामले में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। प्रदेश में बीते कुछ साल से बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम लगातार कमी आ रही है। कोरोना महामारी के दौरान परीक्षा न हो पाने के चलते विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रमोट करने का निर्णय लिया गया था।
विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रमोट के कारण बीते वर्ष बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम अपेक्षाकृत कम रहा। इस वर्ष बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने से पहले ही शिक्षा निदेशालय को शिक्षकों के प्रति जवाबदेही तय करने को कह दिया गया है। विभागीय अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों से सख्ती से निपटा जाएगा। फिलहाल अभी तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने के लिए नहीं चेताया गया है। लेकिन, परीक्षा परिणामों में सुधार नहीं होने से शिक्षकों के वेतन में होने वाली बढ़ोत्तरी को रोकने जैसे सख्त फैसले लिए जा सकते हैं।
शिक्षा विभाग खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने वाला है। शिक्षा विभाग में मार्च में ही शिक्षकों के बैचवाइज और पदोन्नति से पद भरे जाएंगे। शिक्षा मंत्री के आदेशों पर उच्च शिक्षा निदेशालय ने इसको लेकर कार्यवाही शुरु कर दी है। निदेशालय ने इन खाली पड़े पदों को भरने के लिए आंकड़ो को जुटाना शुरू कर दिया है। कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपलों के पदों को भी इसी प्रक्रिया से भरा जाएगा।
प्रदेश के कॉलेजों को प्रति वर्ष आधारभूत ढांचे को मजबूत करने और उपकरणों की खरीद करने के लिए केंद्र सरकार से रूसा ग्रांट मिलता है। बीते कुछ महीनों से यह ग्रांट मिलना बंद हो गया है। बीते कामों को पूरा करने के बाद कॅालेजों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं देने से यह समस्या खड़ी हुई है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कॉलेज के प्रिंसिपलों को निर्देश देते हुए सर्टिफिकेट को जल्द जमा करने को कहा है।
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