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Parliament: राहुल के बयान पर बोले उपराष्ट्रपति, मैं चुप रहा तो संविधान के गलत पक्ष में रहूंगा

• LAST UPDATED : March 10, 2023

 

इंडिया न्यूज़, हिमाचल प्रदेश: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान पर बोलते हुए कहा कि अगर मैं राहुल के संसद में माइक्रोफोन बंद करने वाले बयान पर चुप रहूंगा तो वह संविधान के गलत पक्ष में होगा। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दिग्गज कांग्रेसी नेता करण सिंह की मुंडक उपनिषद पर लिखी गई किताब के विमोचल पर कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के लंदन में दिए गए बयान की विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों और कार्यात्मक, जीवंत लोकतंत्र की सराहना कर रही है। हममें से कुछ, जिनमें सांसद भी शामिल हैं, हमारे सुपोषित लोकतंत्र का बिना सोचे-समझे अपमान करने में लगे हैं।

  • राहुल गांधी की टिप्पणी पर बोले उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं चुप रहा तो संविधान के गलत पक्ष में रहूंगा
  • उपराष्ट्रपति कांग्रेस के पूर्व सांसद करण सिंह की किताब का कर रहे थे विमोचल
  • राहुल गांधी बिना सोचे-समझे लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं

कुछ लोग हमें बदनाम करने के लिए उत्साह से काम कर रहे- उपराष्ट्रपति

किताब के विमोचन के दौरान अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हम इस तरह के मनगढ़ंत आयोजन को कैसे सही ठहरा सकते हैं। भारत जी20 का अध्यक्ष है इस बात को लेकर भारत गौरव का क्षण अनुभव कर रहा है। हमें बदनाम करने के लिए देश के कुछ लोग अति उत्साह में काम कर रहे हैं। हमारी संसद और संविधान को कलंकित और बदनाम किया जा रहा है। ऐसे गलत अभियान को नजरअंदाज करना बहुत गंभीर और असाधारण है। मैं एक महान आत्मा के सामने हूं। अगर मैं चुप रहूंगा तो मैं संविधान के गलत पक्ष पर रहूंगा। यह मेरी शपथ का अपमान होगा।

भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय था आपातकाल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय था, लेकिल अब लोकतंत्र काफी आगे निकल चुका है और अब लोकतंत्र परिपक्क हो चुका है। उन्होंने कहा कि मैं इस बयान को कैसे पवित्र कह सकता हूं कि भारतीय में माइक को बंद कर दिया गया है। ऐसा कहने की हिम्मत कैसे हुई? आपातकाल की घोषणा हमारे इतिहास का काला अध्याय था लेकिन अब इसे नहीं दोहराया जा सकता है, क्योंकि अब भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति परिपक्क हो गई है।

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