Mulethi farming: हिमाचल प्रदेश में मुलेठी की खेती शुरू की जाएगी। हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा जिसमे सुनियोजित ढंग से मुलेठी की खेती की जाएगी। प्रदेश में मुलेठी की पैदावार के लिए अभी पायलेट अभ्यान चलाया जाएगा। इसकी पैदावार के लिए फिलहाल अभी छह जिलो को शामिल किया गया है। इसमें हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन, ऊना और सिरमौर जिला शामिल हैं। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. सतवीर सिंह, डॉ. रमेश चौहान और उनकी टीम मुलेठी प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है
हिमाचल प्रदेश में पहली बार मुलेठी की खेती की जाएगी। इस समय भारत में पंजाब, कश्मीर, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश और कनार्टक में इसकी खेती की जा रही है। मुलेठी की खेती के लिए हरियाणा एचएम वन वैरायटी का प्लांटिंग मैटीरियल तैयार किया गया है। इस योजना के तहत जिला ऊना का क्षेत्र बहुत उपयुक्त पाया गया है। इस साल पायलेट आधार पर इन छह जिलों में मुलेठी के पौधे लगाए जाएंगे। बता दे कि मुलेठी की फसल तैयार होने पर पूरे तीन साल का समय लगता है। ये फसल अब से लगकर 2026 को तैयार हो जाएगी।
योजना के तहत मार्च के अंत में पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। योजना के तहत छह जिलों में एक हजार के करीब मुलेठी के पौधे लगाए जाएंगे। किसानों को इसके लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को स्वयं ये पौधे खेतों तक उपलब्ध करवाए जाएंगे। वहीं, अन्य जो किसान इस योजना से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें योजना के तहत जोड़ा जाएगा। बता दे कि मुलेठी एक बहुत लाभदायक पौधा है। मुलेठी की जड़ का कई समस्याओं के निवारण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि मुलेठी इतनी महत्वपूर्ण होते हुए भी हमारे देश में इसका सुनियोजित ढंग से उत्पादन नहीं होता है। हर साल आठ हजार टन मुलेठी दूसरे देशों अफगानिस्तान, नेपाल और चीन से आयात होती है. हमारे देश में मुलेठी के लिए जलवायु उपयुक्त है। संस्थान पिछले काफी वर्षों से इस पर शोध भी कर रहा था, जिसमें पाया गया कि हिमाचल प्रदेश की कुछ जगहों पर मुलेठी का उत्पादन हो सकता है।
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