Lake in himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश को वादियों का प्रदेश माना जाता है। हिमाचल में चंद्रताल झील इन्ही वादियों में स्थित है। यह झील लाहौल घाटी के अनंत आकाश में जगमगाती स्वर्ग की बूंदें ऊबड़-खाबड़ पथरीले पहाड़ों के बीच कांच की तरह चमकती है। चंद्रताल झील अतियथार्थवाद का प्रतीक है। ठंडी हवा और बौद्ध प्रार्थना झंडों के फड़फड़ाने के बावजूद, यह झील बहुत से रहस्य को समाहित की हुई है। लाहौल और स्पीति की असली लेकिन जादुई स्थलाकृति के बीज इसके रहस्यों को देखा जा सकता है। इसके चंद्रताल नाम से ही पता चलता है कि चंद्रमा के आकार की चंद्रमा की झील लोककथाओं और सीधे रहस्य से जुड़ी है, जो लोगों की रुचि को भी बढ़ाती है।
चंद्रताल झील को हिंदू धर्म की पवित्र झील में से एक माना जाता है। यह झील अपने पवित्र जल से हिंदू भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यह हिमालयी नदी चंद्रा का स्रोत है, जो चिनाब की सहायक नदियों में से एक है। सुनने में चाहे जैसा भी लगे लेकिन चंद्रताल झील की पौराणकि कथाओं को समाहित किए हुई है। इस झील का को महाभारत से भी जोड़कर देखा जाता है।
चंद्रताल झील का उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में भी देखने को मिलता है। इस झील के बारे में माना जाता है कि यह कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध में पांडवों की तरफ से कोरवों को हराने के बाद पांचों पांडव की अंतिम यात्रा को संदर्भित करता है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद जैसे ही पांडव स्वर्ग की ओर बढ़ने लगे तो वे सभी मर गए, उनमें से केवल युधिष्ठिर ही बचे। ऐसा कहा जाता है कि इसी झील से युधिष्ठिर को भगवान इंद्र ने उठा लिया था।
चंद्रताल झील के करीब में सबसे बड़ा मनाली है। मनाली चंद्रताल झील से 140 किलोमीटर दूर है। एडवेंचर मनाली में सुबह जल्दी शुरू हो जाता है। इसमें रोहतांग दर्रा पार करने के साथ-साथ ग्रम्फू, छतरू और बटाल में स्टॉप है। दूसरा विकल्प सुबह बस के द्वारा काजा से बटाल जाना है। चंद्रताल झील बटाल से 15 किलोमीटर दूर है। यहां से झील तक जाने के लिए टैक्सी बुक करके जा सकता है।
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