History of Mall Road: आप अक्सर हिल स्टेशन में धुमने जाते है। वहीं अगर आप पहाड़ी इलाकों में धुमने गए है तो जाहिर है कि आप वहां कुछ ना कुछ तो खरीदारी भी जरूर करेंगे। हिल स्टेशन में जब भी खरीदारी की बात की आती है तो मॉल रोड का नाम सबसे पहले सामने आता है और आप भी मॉल रोड में धुमते हुए ही खरीदारी करना ज्यादा पसंद करते है। लेकिन क्या आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि हर हिल स्टेशन पर आखिर मॉल रोड क्यों होता है। और मॉल रोड में इतनी चहल-पहल क्यों देखने को मिलती है। हम आपको बताएगें की आखिर पहाड़ी शहरों में मॉस रोड का इतिहास क्या है।
अगर इतिहास की बात करें तो 17वीं और 18वीं के बीच भारत में ब्रिटिश अधिकारियों का नियंत्रण होना शुरू हो चुका था। ब्रिटिश में ठंडा मौसम होने की वजह से ब्रिटिश अधिकारियों ने गर्मी से बचने के लिए ठंडे इलाकों या पहाड़ी इलाकों में रहना शुरू कर दिया था। ऐसे में उस दौरान सेना के लिए कई खास जगहों का निर्माण किया गया, उन्हीं में से एक खास जगह थी मॉल रोड, जिसे अभी भी इसी नाम से जाना जाता है।
ब्रिटिश सरकार हर वक्त मॉल रोड में चकाचौंद रखा करते थे। इसके सेंटर में एक सैनिक लगातार अपनी सेवा दिया करता था। इसे देखकर ब्रिटिस कभी-कभी अपने परिवार, दोस्तों और अन्य अधिकारियों के साथ भी मॉल रोड पर रात के वक्त टहलने निकला करते थें। वहीं हिल स्टेशन पर मौजूद मॉल रोड एक ऐसी जगह है जहां हर तरह की बड़ी दुकानें, होटल आदि मौजूद हैं। उस समय भी ये जगह अंग्रेजों के लिए मुख्य बाजार के रूप में प्रसिद्ध हुआ करती थी। ये एक तरह से शहर का मुख्य केंद्र हुआ करता था।
मॉल रोड में होता है शहर का हर मुख्यालयशहर के कार्यालय और मुख्यालय मॉल रोड में होते है। वहीं ब्रिटिश काल से लेकर अब तक पर शहर का मुख्य कार्यालय, अग्निशमन सेवा और पुलिस मुख्यालय जैसे ऑफिस मॉल रोड में ही रहते है। आपातकालीन वाहनों को छोड़कर अधिकांश ऑटोमोबाइल को मॉल रोड पर लगभग कभी जाने की अनुमति नहीं होती है। हालाँकि, आज कई मॉल रोड का नाम बदलकर कुछ और कर दिया गया है, लेकिन उनकी पहचान मॉल रोड से ही होती है।
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