Himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश को एक छोटे प्रदेश के रूप में जाना जाता है। यहां की प्राकृतिक वादियां और पर्यटन स्थल लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते रहते हैं। इस प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। करीब 75 साल की इस यात्रा में देवभूमि के लोग पीछे नहीं हटे। प्रदेश के लोग कला, शिक्षा, खेल, और देश समाज की सेवा के क्षेत्र में हमेशा आगे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी हिमाचल आज बुलंदियों को छुआ है।
डॉ. क्षमा मैत्रेय का जन्म महाराष्ट्र नागपुर में 25 जून, 1950 को हुआ। इन्हें आसपास के लोग डाक्टर दीदी के नाम से भी जानते थे। यह हिमाचल के जिला कांगड़ा के तपोवन में चिन्मय ग्रामीण विकास संस्था (कोर्ड) की संरक्षक के पद पर हैं। डॅा. मैत्रेय इसी संस्था के माध्यम से लंबे समय से समाज की सेवा में जुटी हैं। इन्होंने एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई भी की है। धर्म गुरु चिन्मयानंद के संपर्क में आने के बाद वे चिन्मय मिशन से जुड़ीं और ग्रामीण क्षेत्रों में समाज सेवा के कार्य में जुट गईं। केंद्र सरकार की तरफ से डा. मैत्रेय को साल 2008 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के देवठी-मझगांव क्षेत्र के विद्यानंद सरैक को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए वर्ष 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। विद्यानंद सरैक कवि, गीतकार, गायक और शिक्षाविद् हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। विद्यानंद सरैक 81 वर्ष की आयु में भी लोक साहित्य, लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हुए हैं। प्रदेश के कई ऐसे शख्सियत हैं जिन्होंने प्रदेश का नाम रोशन किया है।
इसे भी पढ़े- Corona virus: अगर कोरोना से रहना है सुरक्षित तो अपनी दिनचर्या में शामिल करें विशेषज्ञ की ये सलाह