Himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश को लोग दुनिया भर में देवभूमि के नाम से जानते हैं। यहां के हर एक मंदिर के पीछे कोई न कोई रहस्य जरूर है। वहीं एक कहानी ऐसी है जो महाभारत के काल से जुड़ी है। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में एक मंदिर है जो अपने चमत्कार से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। जिला मंडी के करसोग का ममलेश्वर मंदिर देश-प्रदेश के लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आकर रुके थे। कहा जाता है कि पांडवों ने गेहूं की खेती की जिसका एक दाना आज भी मंदिर में रखा है। इस गेहूं के दाने का का वजन 250 ग्राम है।
आस्था के इस मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में कहा जाता है कि इस शिवलिंग को पांडवों ने ही स्थापित किया था। मंदिर को भी महाभारत के काल का बताया जाता है। जिला मंडी का ये ममलेश्वर महादेव का मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु हिमाचल पहुंचकर मंडी और शिमला दोनों रास्तों से करसोग पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव का मंदिर करसोग बस स्टैंड से सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ऐसी मान्यता है कि भागवान श्री राम जब रावण का वध करके वापस अयोध्या लौट रहे थे तो इसकी जानकारी इलाके में देर से पहुंची। जानकारी देर से पहुंचने की वजह से इसका जश्न लगभग एक महीने बाद मनाया गया। आज हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी ममलेश्वर महादेव में बूढ़ी दिवाली की विशेष महत्ता है। बूढ़ी दीवाली के दिन मंदिर में देवी-देवताओं का अनुष्ठान होता है। इस दिन लोगों की समस्याओं को सुना जाता है और उसका निदान किया जाता है।
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