Himachal pradesh: उत्तर भारत में आज भी ऐसे कई स्थान हैं जो महाभारत को समय की याद दिलाते हैं। उन्हीं जगहों में से एक हिमाचल की वो पहाड़िया भी हैं, जहां पांडवों से जूड़े कई रहस्य आज भी मौजूद हैं। हिमाचल के मंडी जिले से पांडवों का काफी गहरा नाता रहा है। जिले के कई क्षेत्रों में पांडवों से जुड़े कई रोचक किस्से, रहस्य, मंदिर व निशानियां आज भी मौजूद हैं, जो महाभारत काल की याद दिलाते हैं। इससे देवभूमि के लोगों के अंदर भी पांडवों को लेकर यादें बनी रहती हैं। मंडी जनपद के आराध्य देव कमरूनाग को पांडवों ने ही बनवाया था। कमरूनाग को महाभारत काल के जीवंत उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।
करसोग की ममेल पंचायत में ममलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है जिसका भीम से गहरा नाता है। यह प्राचीन एवं अद्भुत मंदिर भगवान महादेव के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर 5000 साल से ज्यादा पुराना है। ममलेश्वर महादेव मंदिर में महाबली भीम से जूड़ी कई निशानियां भी हैं। इनमें भीम का प्राचीन ढोल और गेहूं का दाना प्रमुख है। इस विशालकाय ढोल को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। ढोल की लंबाई छह फीट और मंदिर में पांच शिवलिंग स्थापित की गई है। इनकी स्थापना पांडवों ने ही की थी। मंदिर में 5000 साल पुराना गेंहू का दाना है जिसका वजन 200 ग्राम है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों मे ममेल में कुछ समय व्यतीत किया था।
पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान हिमाचल में कई निशानियां छोड़ गए थे। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान हटगढ़ से स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाने के लिए शिलाएं तराशी थीं। आज भी ये शिलाएं हटगढ़ में हैं। वहीं, रिवालसर के एक सरोवर है, जिसे कुंती के नाम से जाना जाता है। यह सरोवर नैना देवी मंदिर के ठीक नीचे स्थित है। इस सरोवर का निर्माण पांडवों ने किया था।
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