India news (इंडिया न्यूज़), Himachal pradesh, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश सरकार खैर उत्पादक किसानों को राहत प्रदान करने की दिशा में कदम उठा रही है। सरकार दस वर्षीय कटान कार्यक्रम के तहत खैर कटान पर लगाई गई रोक को हटाने और खैर की कटान के लिए अनुमति प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेगी। सीएम ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को राहत मिलेगी। इसके बाद खैर को कटाने के लिए वन विभाग की अनुमति नहीं लेना पड़ेगा। इससे किसान अपनी सुविधा आर्थिक आवश्यकता के अनुसार खैर को कटा सकेंगे।
खैर की लकड़ी से कत्था प्राप्त होता है जो औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों के उत्पादन में किया जाता है। खैर को दल साल के कटाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर लाने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। यह समिति राज्य के किसानों के पक्ष में भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में छूट से संबंधित सुझाव भी प्रदान करती है। समिति की तरफ से इस रिपोर्ट को न्यायालय को सौंप दी गई है। न्यायालय की तरफ से इस रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया जा सकता है।
राज्य सरकार प्रदेश के सरकारी वन भूमि पर खैर के कटान की अनुमति मांग रही है। वन विभाग की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट एक प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2018 में खैर के पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति प्रदान की थी। इसके परिणाम का आकलन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने खैर के पेड़ों के कटाई वाले स्थान का दौरा किया था। समिति ने निष्कर्ष को न्यायालय के समक्ष पेश कर दिए हैं।
सीएम ने कहा कि खैर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य घटक है।
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