India News (इंडिया न्यूज़) Supreme Court: महाराष्ट्र में शिंदे गुट में बगावत के बाद बीजेपी से के साथ मिलकर सरकार बनाने पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। चीफ जस्टीस की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य जजों की संविधानिक पीठ ने महराष्ट्र की पूरानी सरकार को फिर से बहाल करने से इनकार कर दिया है। हालांकि सुप्रिम कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम में तत्कालिन विधानसभा अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल की भूमिका पर जरुर सवाल खड़े किए है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने उस समय कानून के तहत काम नहीं किया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर तत्कालिन सीएम उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट का सामना करते और सीएम के पद से इस्तिफा नहीं देते तो शायद आज स्तिथि कुछ और हो सकती थी। वहीं, उद्धव गुट ने पार्टी से बागी हुए 15 विधायकों को अयोग्य ठहराएं जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में माग की थी। हालांकि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट का मामला अब कोर्ट की बेंच में 7 जजों की एक बड़ी बेंच को सौंप दिया है।
मालूम हो कि की महाराष्ट्र में वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी और उद्धव ठाकरे गठबंधन में सीएम पद को लेकर ठन गई थी। इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और सीपीएम के सहयोग से सरकार का गठन किया था। इसके बाद जून 2022 में शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे बीच विरोध हो गया और शिंदे समेत उनके गुट ने मिलकर अपना समर्थन बीजेपी को दे दिया। जिसके चलते महाराष्ट्र में शिंदे गुट और बीजेपी ने मिल कर सरकार बनाए और इस सरकार में एकनाथ शिंदें को सीएम बनाया गया। समेत 16 विधायकों ने पार्टी से टूट कर बीजेपी के साथ गंठबंधन करते हुए सरकार बना ली थी।