India News(इंडिया न्यूज़), Himachal News: केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय के कार्यशील आईआरओ यानि एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय पर विवाद हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हाल के दिनों में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर इस इस कार्यालय को शिमला में शुरू करने की पैरवी लगा चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस कार्यालय को चंडीगढ़ में खोलने का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात इस कार्यालय के चंडीगढ़ शिफ्ट होने के बाद हिमाचल में एफसीए क्लीयरेंस के मामले पारित होने में और अधिक देरी लग सकती है। दरअसल, प्रदेश में फोरलेन समेत कई अहम प्रोजेक्टों के शुरू होने में एफसीए क्लीयरेंस समय पर नहीं मिल पा रही है। तो इसी चलते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वन विभाग के मुख्य संसदीय सचिव के और पूरी टीम के साथ केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से दिल्ली में मुलाकात की थी। उन्होंने उस दौरान आईआरओ कार्यालय शिमला में स्थापित करने पर राज्य का पक्ष रखा था। लेकिन अब केंद्र सरकार इस कार्यालय को राज्य से बाहर खोलने की तैयारी में है। इसके लिए चंडीगढ़ का चयन किया जा रहा है।
वहीं अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच इस कार्यालय को लेकर खींचतान बढ़ गई है। हालांकि, राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद फोरेस्ट क्लीयरेंस के ज्यादातर मामले पारित नहीं हो पाए हैं। वहीं अगर केंद्र सरकार के सीधे जुड़े नेशनल हाईवे की बात करें, तो फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए आठ प्रोजेक्ट की रिपोर्ट भेजी गई। जिसके बाद नेशनल हाईवे के एक ही प्रोजेक्ट को बीते चार महीनों में मंजूरी मिली है। वरना अबी भी इसके अलावा सडक़ और भवनों के कई बड़े प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से दिल्ली में मुलाकात की थी। बता दें, इससे पहले भी फोरेस्ट क्लीयरेंस के मामलों में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने डीसी और डीएफओ की कमेटी बनाकर बात करी थी। पर वहीं अब मुख्यमंत्री ने आईआरओ कार्यालय शिमला में मांग लिया है।
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