India News (इंडिया न्यूज़), Hamirpur News, Himachal: 3 जुलाई को कारगिल युद्ध में शहादत हुए शहीद स्वामी दास चंदेल के पुत्र भी देश की रक्षा करने में शामिल हैं। पिता की शहादत के समय तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले रजनीश ने भी देश सेवा की ठानी और 2010 में सेना में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध में तीन जुलाई 1999 को गांव समलेहड़ा, डाकघर बगवाड़ा, तहसील भोरंज, हमीरपुर निवासी हवलदार स्वामी दास की शहादत हुई तो बड़ा बेटे मुनीष नौवीं कक्षा में, बहन दसवीं कक्षा में, जबकि छोटा भाई रजनीश तीसरी कक्षा में पढ़ता था। रजनीश चंदेल का कहना है कि पिता हवलदार स्वामी दास चंदेल को सेना से जुलाई 1999 में सेवानिवृत्त होना था।
फोन और चिट्ठी के जरिये पिता घर पर सेवानिवृत्ति के अवसर पर प्रस्तावित समारोह की तैयारियों के बारे में पूछते रहते थे। मगर सेवानिवृत्ति समारोह से कुछ दिन पहले ही पिता कारगिल युद्ध छिड़ गया। कारगिल युद्ध में पिता शहीद हो गए। तब रजनीश और उसके भाई-बहन राजकीय पाठशाला बगबाड़ा में ही पढ़ते थे। पिता की शहादत पर रजनीश ने भी भारतीय सेना में जाकर देश की रक्षा करने की ठानी और वर्ष 2010 में भारतीय सेना में भर्ती हुए। वर्तमान में वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर रेजिमेंट में नायक के रैंक पर सेवारत हैं। रजनीश चंदेल खुद भी वर्ष 2016 से 2018 तक जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे।
जिले के अंदराल ऊहल गांव के शहीद सैनिक दिनेश कुमार की शहादत से पूरा क्षेत्र गर्व महसूस करता है। शहीद दिनेश अपने पिता कैप्टन भूप सिंह से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। पिता वर्ष 1997 में सेवानिवृत्ति हुए और इसके तीन साल बाद दिनेश पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हो गए। शहीद का भाई राकेश कुमार भी सेना से वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त हुए हैं। शहीद हुए दिनेश की पार्थिव देह को शहीद के भाई को सौंपा गया था।
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