India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: परमात्मा की गोदी में रहना आसान नहीं होता। कभी-कभार परमात्मा भक्तों का इम्तिहान भी लेता है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को भयभीत होने के बजाय सबकुछ चुपचाप रहकर देखना चाहिए और मंद-मंद मुस्कराना चाहिए। यह परमात्मा की ही लीला होती है जो लोगों को अपनी शक्ति होने का एहसास करवाता है। यह बात पद्मश्री पार्श्व गायक कैलाश खेर ने हिमाचल में भारी बारिश से हुई तबाही को लेकर कही। रविवार को कैलाश खेर मिंजर मेले की आखिरी सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुति देने के लिए पहुंचे थे। अमर उजाला से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि चंबा पौराणिक जगह है। यहां को लेकर कई प्रेमियों, संतों और महात्माओं ने न जाने कितने राग और ठाठ गाए हैं।
चंबा में संगीत के काफी रसिक हैं। पहाड़ी जिंदगी तपस्वियों की जिंदगी होती है। उन्होंने कहा कि संगीत में शब्दों का भी काफी महत्व होता है। इसलिए उनके जो भी गीत-संगीत हैं। उसमें शब्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। संगीत में भी एक अध्यात्म होता है। इसलिए उनके रोमांटिक गीतों में भी शब्द अध्यात्म से जुड़े मिलेंगे। उन्होंने आज के दौर में संगीत में अश्लील शब्दों के इस्तेमाल पर कहा कि नकलीपन ज्यादा देर तक नहीं चलता। जहां शब्दों की गहराई होती है वहां बिना कुछ कहे भी हजारों बातें की जा सकती हैं। कैलाश खेर ने कहा कि उनका लालन-पोषण साधुओं और महात्माओं के बीच हुआ है। इसलिए वे लकीर के फकीर नहीं हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों को लेकर उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों में करुणा होती है। इसके अलावा नदी किनारों में बसे नगर दैविय होते हैं।
ये भी पढ़े- प्रदेश के चार जिलों में जम कर बरसे बादल, हुई सामान्य से अधिक बरसात