लोकिन्दर बेक्टा, शिमला :
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा है कि प्रदेश की राजधानी शिमला में स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना के तहत चल रहे कार्यों की लगातार निगरानी की जा रही है।
इसके बावजूद यदि इन कार्यों की गुणवत्ता में कोई अनियमितता पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई होगी और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में अनियमितता की कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच करवाई जाएगी।
सुरेश भारद्वाज बुधवार को नियम 130 के तहत विधायक विक्रमादित्य सिंह, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, जगत सिंह नेगी, इंद्रदत्त लखनपाल और संजय अवस्थी द्वारा लाए गए एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उत्तर दे रहे थे।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शिमला में पारदर्शी तरीके से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत शहर में हो रहे विकास कार्यों को पूरा होने पर नगर निगम शिमला को सौंप दिया जाएगा और वही इन विकास कार्यों की देखरेख करेगा।
उन्होंने सदस्यों के सुझावों पर कहा कि शिमला और धर्मशाला स्मार्ट सिटी परियोजना का एक ही कमांड सेंटर बनाने पर सरकार विचार करेगी।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 2,905.97 करोड़ रुपए है। अभी तक इस परियोजना के तहत 383 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
इनमें से 194 करोड़ रुपए केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में और 189 करोड़ रुपए प्रदेश की हिस्सेदारी के रूप में जारी किए गए हैं। इस राशि में से 214 करोड़ रुपए की राशि अभी तक खर्च की जा चुकी है।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आने वाले कार्यों का ज्यादा हिस्सा वन विभाग से संबंधित है। इसके अतिरिक्त एनजीटी द्वारा शिमला शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध है।
इन सभी कठिनाइयों और मुद्दों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट सिटी के निदेशक मंडल ने परियोजना व्यय को निर्धारित किया है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना को निदेशक मंडल द्वारा निर्धारित किए गए विभागों से करवाया जा रहा है ताकि इन्हें तय समय पर पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना शिमला शहर की वर्ष 2050 तक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
इससे पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करते हुए विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना पर जिस गंभीरता से कार्य होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है।
उन्होंने इस परियोजना पर केंद्र और प्रदेश सरकार की समान हिस्सेदारी पर भी आपत्ति जताई और कहा कि विशेष श्रेणी राज्य के दर्ज के चलते इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार को 90:10 के अनुपात में फंडिंग करनी चाहिए।
कांग्रेस के ही सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आरोप लगाया कि शिमला में सड़कों को चौड़ा करने के लिए रिटेनिंग वाल को एक हजार गुना महंगी दरों पर लगाई जा रही है।
उन्होंने सरकार से कंक्रीट की ये दीवारें लगाए जाने के मामले की जांच की मांग की और कहा कि निर्माण कार्यों में आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं हो रहा।
उन्होंने यह भी कहा कि शिमला कारपोरेशन अब कर-परेशान बन गई है। कांग्रेस के ही जगत सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि शिमला स्मार्ट सिटी परियोजना में लगे लोग बिल्कुल काम नहीं कर रहे हैं और ये भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शिमला में ट्रैफिक जाम की समस्या जस की तस है क्योंकि कोई भी कार्य नई सोच से नहीं हो रहा।
उन्होंने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी एक धोखा बनकर रह गया है।
कांग्रेस सदस्य संजय अवस्थी ने सरकार को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शिमला शहर में कुत्तों, बंदरों और ट्रैफिक की समस्या पर तुरंत ध्यान देने की सलाह दी।
कांग्रेस के ही इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि सरकार इस परियोजना के तहत डंगों पर खर्च करने के बजाय पार्किंग पर ध्यान दे।
उन्होंने शिमला में आवारा कुत्तों के लिए डोग हट बनाने और घोड़ा चौकी क्षेत्र में सीवरेज लाइन के बार-बार टूटने से आ रही समस्या का मामला भी उठाया।
माकपा के राकेश सिंघा ने कहा कि शिमला की सुंदरता तभी बरकरार रहेगी, जब शिमला के पुराने वास्तुशैली के अनुसार निर्माण होगा।
उन्होंने पानी का निजीकरण खत्म करने और शहर को स्मार्ट बनाने के लिए मैनपावर बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि शहर की सफाई के लिए खरीदी गई मशीनों को पैसे की बर्बादी करार दिया।
भाजपा के बलवीर वर्मा ने 40 साल बाद मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा शिमला शहर के लिए डेवेलपमेंट प्लान बनाने को बड़ी उपलब्धि करार दिया।
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