संवाददाता जितेंद्र ठाकुर: सिरमौर जिला में मैदानी क्षेत्रों में धान की व्यवसायिक खेती की जाती हैं और पोंटा साहिब सहित कई इलाकों में धान उगाया जाता है। धान की फसल के लिए पानी आवश्यक तत्व रहता है जिस कारण से बारिश पर इसकी निर्भरता रहती है। धान लगाने के लिए किसा को पहले पनीरी तैयार करनी पड़ती है या फिर खरीदनी पड़ती है। इसे लगाने को भी खेतों में जल चाहिए होता है। लेकिन अब किसान को न तो धान की पनीरी तैयार करनी होगी और न ही खरीदनी होगी क्योंकि
अब कृषि विभाग ने बिजाई को लेकर एक ट्रायल किया है जोकि काफी सफल रहा है। इसमें किसान धान को रोपने की बजाए सीधे अपने खेतों में बिजाई करेगा और केवल सामान्य पानी की ही आवश्यकता होगी। उप निदेशक कृषि डॉ राजिंदर ठाकुर ने बतायाकि विभाग ने प्राकृतिक खेती पर आधारित सीधे धान बिजाई का एक ट्रायल अपने फार्म भंगानी ,पोंटा में किये था जोकि काफी सफल रहा है।
उप निदेशक कृषि डॉ राजेंद्र ठाकुर ने बतायाकि धान को फसल को लेकर प्राकृतिक विधि से बिजाई करने का ट्रायल भंगानी फार्म में डेढ़ हेक्टेयर भूमि पर किया गया था जोकि सफल रहा है। इसमें धान के साथ बीच में माश इत्यादि की फसल भी लगायी जा सकती है। इसका लाभ यह है कि अब धान को कम पानी वाले क्षेत्रों में भी लगाया का सकता है। इससे किसानो को लाभ मिलेगा और वो धान की पनीरी तैयार करने या खरीदने से भी बच सकेंगे। दूसरे धान भी उत्तम किस्म का पैदा होगा।
उल्लेखनीय हैकि विभाग ने अपने फार्म में डेढ़ हेक्टेयर में से 5 बीघा पर एच पी आर2143 ,6 बीघा पर एच पी आर 2656 व 3 बीघा पर कस्तूरी बासमती की किस्में उगाई थीं जिनके अच्छे परिणाम आ रहे हैं।