India News (इंडिया न्यूज़), Hindi Diwas 2023: हिमाचल प्रदेश 15 अप्रैल 1948 को अस्तित्व में आया और 25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। यहां 10 से 20 किलोमीटर तक बोली बदल जाती है। व्याकरण भी स्पष्ट न होने पर हिमाचल की पंजाब में पंजाबी की तरह अपनी कोई प्रादेशिक भाषा स्वरूप नहीं ले सकती थी। ऐसे में हिंदी ने ही इसे एकसूत्र में बांधा। हिंदी में हिमाचल के लेखकों ने साहित्य रचा जाे विश्व पटल पर पहुंचा।
यहां बोलचाल में पहले से ही उर्दू, फारसी, संस्कृत और पंजाबी मिश्रित हिंदी बोली जाती है। इससे हिंदी को अपना फलक व्यापक करने में आसानी हुई। प्रदेश में 12 बोलियां बिलासपुरी, चंबियाली, पंगवाली, किन्नौरी, कांगड़ी, कुल्लवी, अपर महासुवीं, लोअर महासुवीं, मंडयाली, सिरमौरी, लाहौली और स्पीति हैं, जिन पर आकाशवाणी शिमला से भी कार्यक्रम चलते हैं।
1966 में नए हिमाचल और पुराने हिमाचल का मिलान हुआ तो बहुभाषी क्षेत्र आ गए। मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की सरकार ने 1975 में हिंदी राजभाषा अधिनियम बनाया। इसके लिए पुराने कानून रिपील करने पड़े। इससे पहले कामकाज की भाषा अंग्रेजी, उर्दू-फारसी या कुछ क्षेत्रों में पंजाबी भी थी।
फिर सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग के लिए आदेश दिए गए। राज्य भाषा एवं संस्कृति विभाग से सेवानिवृत्त व्युत्पत्तिविद् व भाषाविद् गोपाल दिलैक का कहना है कि शांता कुमार जब 1978 में आए तो उन्होंने हिंदी के प्रयोग पर बहुत जोर दिया। नेम प्लेट को बदला गया। हाजिरी के रजिस्टर भी बदले गए।
शांता कुमार का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि अंग्रेजी के बदलकर हिंदी के टाइपराइटर्स लाए गए। 1980 तक हिमाचल प्रदेश में पूरी तरह से हिंदी लागू कर दी गई थी। उसके बाद से हिंदी भाषा का प्रयोग होता रहा। हालांकि, अभी भी शासकीय कामकाज में अंग्रेजी का चलन घटा नहीं है। अंग्रेजी के हावी होने के चलते इस दिशा में बहुत आगे नहीं बढ़ा जा सका है।
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