India News (इंडिया न्यूज़), Mandi News, Himachal: हिमाचल प्रदाश के सरोआ के जालपा माता मंदिर में सायर मेला शुरू हो चुका है। इस दौरान मंदिर में अखरोट की वर्षा की गई है। माता जालपा मंदिर में जोभली- जिसका मतलब अखरोट की बौछार का किसानों की फसल की वृद्धि की कामना करना तथा मंदिर में आए माता के भक्तों को प्रसाद के रूप में अखरोट बांटने की परंपरा माता के मंदिर में सदियों से चलती आरही है।
रविवार को मंदिर के गूर मुरारी लाल और पुजारी यशपाल शर्मा ने मंदिर में चढ़कर देवी जालपा के दर्शनों के लिए मंदिर पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं पर अखरोट की बरसात कर दी। एक माह बाद सायर उत्सव की पावन बेला पर कमरूघाटी के बंद पड़े मंदिरों के कपाट रविवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ खोले गए। कमरूघाटी में सायर उत्सव धूमधाम से मनाया गया। घाटी के धार्मिक स्थल जालपा माता मंदिर सरोआ में श्रद्धालु अखरोट, स्थानीय खीरा और मक्की लेकर पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने माता जालपा को परिवार की खुशहाली और दीर्घायु के लिए अखरोट के साथ दूब (पवित्र घास) चढ़ाई। यह जालपा मंदिर में सायर उत्सव पर मुख्य आकर्षण रहा। रविवार को घाटी के अन्य मंदिरों के कपाट भी खुले, जहां लोगों ने अपने इष्ट देवताओं की पूजा की और मक्की, खीरा और अखरोट चढ़ाए। देवताओं के कपाट खुलते ही गुरों ने देवी-देवताओं की पिंडियों और मूर्तियों पर देसी घी चढ़ाया। देसी घी में चावल मिलाकर देवी देवताओं का शृंगार कर उन्हें कल्या (पूजा) लगाई गई।
माता मधोगन्न शिव शक्ति गौरा, बड़ा देव कमरूनाग, शिल्हि लटोगली, देव बाला कामेश्वर, संतोषी माता, लम्बोदरी माता समेत घाटी के अन्य मंदिरों के सायर पर्व पर कपाट खुलने से माहौल भक्तिमयी हो गया। रविवार सुबह घाटी के लोगों द्वारा घर मे पेठू (कद्दू) की पूजा करने का साथ तरह-तरह के पकवान तैयार कर पेठू को चढ़ाए गए। जालपा माता के गूर मुरारी लाल तथा पुजारी यशपाल ठाकुर का कहना है कि सैकड़ों श्रद्धालुओं ने जालपा माता मंदिर में शीश नवाया।