India News (इंडिया न्यूज़), Uttarkashi: उत्तराखंड के उत्तराकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की पूरी कोशिशें जारी हैं, वहीं सभी मजदूर सकुशल हैं साथ ही उन्हें खाना और पानी दिया जा रहा है, अहम बात ये है कि सिल्क्यारा सुरंग की तरह ही आज से 9 साल पहले हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही हादसा हुआ था, जिसमें 2 मजदूर 10 दिन बाद बिना खाने के जिंदा निकले थे। इन दोनों मजदूरों ने 10 दिनों तक गंदा पानी और कागज खाए थे, बड़ी बात है कि 3 दिन तक टनल में फंसे हुए मजूदरों की संख्या का पता नहीं चल पाया था।
आपको बता दें कि, 12 सितंबर 2015 की यह घटना है, जब हिमाचल प्रदेश के बिलासरपुर जिले में कीरतपुर मनाली फोरलेन पर निर्माणाधीन टनल अंदर से ढह गई थी, इस दौरान 3 मजदूर अंदर ही फंस गए थे, ये दोनों मजूदर सिरमौर और मंडी जिले के थे, मंडी जिले के उप तहसील की नलवागी पंचायत के करेरी गांव निवासी मणिराम और सिरमौर के सतीश तोमर टनल में फंसे रहे थे, दोनों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बताया था कि टनल के अंदर उन्होंने गंदा पानी और कागज के टुकड़े खाए थे, हालांकि तीसरे मजदूर की मौत हो गई थी।
साथ ही इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जहां टनल के अंदर से ड्रिलिंग की गई, वहीं, टनल के ऊपर से भी आधुनिक ड्रिलिंग मशीन से छेद किया गया, टनल के ऊपर से लगभग 42 मीटर होल से NDRF का जवान टनल में उतरा और फिर दोनों मजदूरों को बारी-बारी रस्से से बांध कर ऊपर भेजा गया, 10वें दिन के बचाव अभियान के दौरान NDRF के सब इंस्पेक्टर नरेश ने 1.3 मीटर चौड़े होल से टनल के अंदर गये, वह सुबह टनल में उतरे, लेकिन, कंकरीट होने के कारण वह टनल के अंदर नहीं जा सके, फिर दोबारा कोशिश में वह अंदर पहुंचने में कामयाब हुए थे।
इस पूरे अभियान के दौरान टनल के ऊपर और साथ-साथ खुदाई की गई, उस समय IAS अफसर मानसी सहाय बिलासपुर की DC थी और उनके नेतृत्व में ही यह रेस्क्यू ऑपरेशन चला था, अब बताया जा रहा है कि मानसी सहाय ने उत्तराखंड के CM से भी बात की है और अपना अनुभव व तकनीकी जानकारी सांझा की है।
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