इंडिया न्यूज, शिमला :
Kisan Sabha will make 80 Thousand Farmers Members : हिमाचल किसान सभा ने किसानों-बागवानों की समस्याओं और मांगों को लेकर आंदोलन का ऐलान किया है।
किसान सभा की गत शनिवार को हुई अहम बैठक में इस संबंध में व्यापक रणनीति बनाई और आंदोलन की रूपरेखा तय की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि 28-29 मार्च को एक दर्जन से अधिक ट्रेड यूनियन संगठनों की देशव्यापी आम हड़ताल में किसान-मजदूर एकता को मजबूत करते हुए हिमाचल किसान सभा भी इसमें शामिल होगी।
केंद्र सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों को विरोध किया जाएगा तथा प्रदेश, जिला एवं खंड स्तर पर प्रदर्शन करते हुए आम हड़ताल की जाएगी। किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में हुई राज्य कमेटी की विस्तारित बैठक में महत्वपूर्ण संगठनात्मक निर्णय लिए गए।
बैठक में तय किया गया कि 9-10 जुलाई को सोलन में हिमाचल किसान सभा अपना 16वां राज्य सम्मेलन आयोजित करेगी जिसमें प्रदेशभर से लगभग 300 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। वहीं, अप्रैल माह में सदस्यता करते हुए प्राथमिक इकाई एवं पंचायत कमेटियों के सम्मेलन, 20 मई तक खंड कमेटियों के तथा 15 जून तक जिला सम्मेलन किए जाएंगे।
किसान सभा ने इस वर्ष प्रदेश में 80 हजार किसानों को सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन सम्मेलनों को सफल बनाने के लिए मार्च माह में जिलों में बैठकें आयोजित की जाएंगी तथा स्थानीय मुद्दों पर किसानों को संगठित करते हुए संघर्ष किए जाएंगे।
प्रदेश में मुख्यत: से 5 मुद्दों (जमीन, अनाज, सेब, दूध, टमाटर एवं अन्य सब्जियों) पर ‘फसल आधारित संगठन’ बनाए जाएंगे जिन्हें हिमाचल किसान सभा के साथ सम्बद्ध किया जाएगा। दूध के मुद्दे पर शुरूआत करते हुए ‘दुग्ध उत्पादक संघ’ का गठन किया गया है जिसके तहत 4 जिलों के 7 खंडों में सदस्यता अभियान शुरू किया जा चुका है।
किसान सभा के राज्य महासचिव डा. ओंकार शाद ने कहा कि एक तो कोविड महामारी ने आम जनता का जीवन कष्टभरा बना दिया है, ऊपर से सत्तासीन केंद्र एवं राज्य की सरकारों ने श्रम कानूनों में मजदूरों के खिलाफ बदलाव लाते हुए तथा किसानों की अनदेखी करके समाज के एक बड़े तथा क्रियाशील हिस्से को बदहाली के रास्ते पर खड़ा कर दिया है।
डा. शाद ने कहा कि सरकार कोविड महामारी का ठीक से प्रबंध नहीं कर पाई जिसके चलते स्वास्थ्य संस्थाओं को सुधार की बजाय बदतर किया गया है। अर्थव्यवस्था अभी 3 वर्ष पहले के मुकाबले में भी नहीं पहुंच पाई है। आज हमारा देश बेरोजगारी, भूखमरी, बीमारियों, कुपोषण, असमानता में दुनिया के शीर्ष स्तर पर है।
किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डा. कुलदीप तंवर ने केंद्रीय बजट को किसान विरोधी बताया और कहा कि केंद्रीय बजट को पिछले वर्ष 4.74 लाख करोड़ के मुकाबले इस वर्ष 3.70 लाख करोड़ रुपए किया गया है। वहीं, विभिन्न मदों में भारी कटौती की गई है जैसे मनरेगा पर 30 प्रतिशत से अधिक कमी गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार के किसानों की आय को दोगुना करने के झूठे दावे को पुख्ता करने वाले कृषि क्षेत्र के बजट में भी कमी की गई है। 3 कृषि कानूनों को जिन शर्तों के साथ वापस लिया गया था, आज उनमें से किसी भी वादे को पूरा करने के लिए सरकार ने कोई भी कदम अभी तक नहीं उठाया है।
बैठक में किसान सभा के पूर्व महासचिव एवं विधायक राकेश सिंघा ने प्रदेश सरकार को कर्मचारियों, नौजवानों, किसानों, महिलाओं, दलितों का विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि केवल कोरे सपने दिखाने के अलावा सरकार के पास ज्यादा कुछ नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा न होने से सार्वजनिक सेवाओं के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। कृषि, बागवानी एवं पशुपालन के क्षेत्र में सरकारी निवेश तो दूर की बात परंतु छोटी-मोटी रियायतों को भी खत्म किया गया है।
चर्चा में सत्यवान पुंडीर, देवकीनंद, होतम सोंखला, सतपाल, डा. दत्तल, प्यारे लाल वर्मा, प्रो. राजेंद्र चौहान, सतपाल मान, नरेंद्र, गीता राम, दिनेश मेहता, प्रेम चौहान आदि सदस्यों ने भाग लिया। Kisan Sabha will make 80 Thousand Farmers Members
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