India News HP (इंडिया न्यूज़), HP High Court: हिमाचल प्रदेश की अदालत ने एक अहम और मानवीय फैसला सुनाया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस रंजन शर्मा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक HIV संक्रमित कैदी को जमानत दे दी है। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कैदी को जेल में उचित इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही थी।
क्या है मामला
हिमाचल प्रदेश पुलिस ने 20 फरवरी, 2024 को एक शख्स को गिरफ्तार किया था जो HIV से पीड़ित है। जेल में उसे इलाज की सुविधा न मिलने पर उसने ट्रायल कोर्ट और फिर सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी दायर की, लेकिन दोनों ने खारिज कर दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
तेज गति से घटा वजन
याचिका में कैदी ने बताया कि वह HIV पॉजिटिव है और इसकी वजह से उसके शरीर में अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। उसने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की जिसमें साफ था कि जेल जाने के बाद से उसका वजन 9-10 किलोग्राम कम हो चुका है। ऐसे में उसे खास डाइट और हाइजीन की जरूरत है।
कोर्ट का तर्क (HP High Court)
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी व्यक्ति को जीवन का अधिकार है। जेल में यह सुविधा न मिल पाना इस अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए कैदी को जमानत दी जानी चाहिए ताकि उसे बाहर इलाज मिल सके।
जेल प्रशासन का जवाब
जेल प्रशासन का कहना है कि किसी एक कैदी के लिए स्पेशल डाइट और हाइजीन सुविधाएं देना मुश्किल है। लेकिन कोर्ट ने मानवीय आधार पर जमानत का फैसला सुनाया।
कोर्ट का निर्देश
अदालत ने निर्देश दिया है कि कैदी को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती कराया जाए और उसका उचित इलाज किया जाए।
यह फैसला मानवाधिकारों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि कैदियों का भी जीवन महत्वपूर्ण है और उन्हें भी उचित इलाज का अधिकार है।
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