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IIT Mandi Phenomenal Workshop भारतीय ज्ञान पद्धति और मानसिक स्वास्थ्य पर आईआईटी मंडी की अभूतपूर्व कार्यशाला

• LAST UPDATED : March 28, 2022

IIT Mandi Phenomenal Workshop भारतीय ज्ञान पद्धति और मानसिक स्वास्थ्य पर आईआईटी मंडी की अभूतपूर्व कार्यशाला

  • लक्ष्य है भारतीय ज्ञान पद्धति और मानसिक स्वास्थ्य पर शैक्षिक प्रोग्राम शुरू करना

इंडिया न्यूज, मंडी।

IIT Mandi Phenomenal Workshop : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी भारतीय ज्ञान पद्धति (IKS) और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में विद्यार्थियों, शिक्षाविदों और इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को अनुभव आधारित अनुसंधान की अंतर्दृष्टि प्रदान करना चाहता है।

इस लक्ष्य की ओर अग्रसर संस्थान ने आईआईटी मंडी आईहब और एचसीआई फाउंडेशन के साथ मिलकर 25 से 27 मार्च, 2022 तक ‘भारतीय ज्ञान पद्धति (आईकेएस) और मानसिक स्वास्थ्य’ पर 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला के स्पांसर थे भारतीय स्टेट बैंक, नेटवेब टेक्नोलाजीज और हास्पिमेडिकल।

आर्टिफिशियिल इंटेलिजेंस और मानव कम्प्यूटर के बीच परस्पर संबंध की अग्रणी विधा आने से भारतीय ज्ञान पद्धति (आईकेएस) की शिक्षा ने मानव शरीर, मन और चेतना के लिए इस पद्धति के महत्व को उजागर किया है।

कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में आदरणीय अतिथि पद्मश्री आचार्य नागेंद्र जानकारी देते हुए।

विभिन्न विषयों पर संवाद और मंथन (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

कार्यशाला में आईकेएस पर आधारित स्नातक के पाठ्यक्रम समेत इससे जुड़े शोध के विभिन्न विषयों पर संवाद और मंथन किया गया।

उद्घाटन समारोह के अपने संबोधन में मुख्य अतिथि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में सचिव के संजय मूर्ति ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान को विज्ञान में बदलने का अवसर आ गया है।

यह समय की मांग है इसलिए इस ज्ञान पद्धति की उपयोगिता और व्यापक उपयोग के मद्देनजर इसे मानक रूप देकर सार्वजिनक तौर पर सुलभ कराना होगा।

इसके लिए बढ़-चढ़कर प्रचार करने या फिर बिना प्रमाण के दावे करने की जरूरत नहीं है। मुझे खुशी है कि आईआईटी मंडी ने भारतीय ज्ञान पद्धति को बकायदा वैज्ञानिक शिक्षा का रूप देने के लिए यह कदम उठाया है।

मानसिक स्वास्थ्य कलंक का मसला (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

भारत में मानसिक स्वास्थ्य कलंक का मसला बन जाता है, जबकि आज युवा और बुजुर्ग समान रूप से विभिन्न मानसिक विकारों से पीड़ित हैं इसलिए भारतीय ज्ञान पद्धति से इस समस्या का हल ढूंढना होगा।

इसके लिए संपूर्ण बुनियादी व्यवस्था करनी होगी जिसे भारतीय सहज स्वीकार करें। आईआईटी मंडी के इस प्रोग्राम में बायोसिग्नल जैसे कि इलेक्ट्रोएंसेफलोग्राम (ईईजी), मस्तिष्क इमेजिंग के साथ-साथ वर्चुअल वास्तविकता-आधारित इमर्सिव न्यूरान-फीडबैक का उपयोग करते हुए भारतीय ज्ञान पद्धति से मानसिक स्वास्थ्य के समाधान हेतु वैज्ञानिक नवाचार करने का लक्ष्य है।

इस तरह आईकेएस और मानसिक स्वास्थ्य दोनों चुनौतियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ लेने की सुविधा होगी। कार्यशाला का महत्व बताते हुए आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि आईकेएस की आधारभूत परिकल्पना यह है कि पदार्थ अपने प्रारंभिक (सूक्ष्म) रूप में संज्ञान है और इसलिए संज्ञान भावनाएं और व्यवहार किसी भी जटिल आणविक संयोजन के आकस्मिक गुण नहीं हैं।

वर्कशाप के दौरान आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा व अन्य गणमान्य लोग।

प्रतिभागियों का स्वागत (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

प्रो. बेहरा ने कार्यशाला के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि क्या मन केवल क्रियाशील मस्तिष्क है या अनुभव आधारित विज्ञान में ज्ञात किसी भी मौलिक वस्तु की तुलना में अधिक मौलिक वस्तु है।

यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता क्रिस्टोफ कोच ने भी अपना दृष्टिकोण बदलकर मन को अधिक मौलिक वस्तु मान लिया है।

संज्ञान को समझना न केवल विज्ञान का बहुत ही मौलिक प्रश्न है, बल्कि इसमें प्राकृतिक विज्ञान और संबंधित प्रौद्योगिकी के प्रचलन को बदलने की क्षमता भी है, जोकि सौहार्दपूर्ण और स्थायी अस्तित्व के लिए पूरक भी है।

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

प्रोफेसर बेहरा ने बताया कि आईकेएस के हाल के अध्ययन में कैसे योग, ध्यान, संगीत, संस्कृत और अन्य रूपों में प्रदर्शन कलाओं के चिकित्सा गुण भी पाए गए।

ये संज्ञान में वृद्धि, तनाव मुक्ति, हताशा दूर करने के संदर्भ में मनुष्य की मानसिक प्रकृति प्रदर्शित करते हैं। जीव-वैज्ञानिक संकेत जैसे इलेक्ट्रोएंसेफलोग्राम (EEG) और कार्यरत मस्तिष्क की तस्वीरों के साथ-साथ वर्चुअल वास्तविकता आधारित न्यूरो फीडबैक के दृष्टिकोण से वैज्ञानिक नवाचारों के नए युग की शुरूआत हुई है जिसमें आईकेएस के कई दावों को सत्यापित और मानकीकृत किया जा सकता है ताकि सभी इनका प्रभावी उपयोग करें।

कार्यशाला में भारतीय ज्ञान पद्धति के शिक्षाविद, उद्योग जगत के जानकार, शोधकर्ता, विशेषज्ञ और व्यवसायी शामिल थे। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञतापूर्ण प्रस्तुतियों, पोस्टर सत्रों, पैनल चर्चाओं और मंथन के सत्रों में आईकेएस और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

अपने स्वागत संबोधन में डा. वरुण दत्त, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल आफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ने कहा कि अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मनुष्य कंप्यूटर संबंध से संचालित इस दुनिया में भारतीय ज्ञान पद्धति (आईकेएस) की शिक्षा पहली बार सुनने में एक शहरी किंवदंती लग सकती है लेकिन हाल के शोध से यह स्पष्ट है कि आईकेएस का मानव शरीर, मानसिक स्वास्थ्य और सुखी रहने में बड़ा महत्व है और यह बहुत लाभदायक है।

वास्तव में, आईकेएस की जड़ें गहरी हैं जो भारतीय इतिहास, दर्शन, समाज, कला, भाषा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और जीवन विज्ञान में समाई हैं।

वर्कशाप के दौरान आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा, डा. वरुण दत्त व अन्य गणमान्य लोग।

कार्यशाला के उद्देश्य बताए (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में आदरणीय अतिथि पद्मश्री आचार्य नागेंद्र ने कहा कि मैं इस तरह का आयोजन करने के लिए सबसे पहले आईआईटी मंडी को बधाई देता हूं।

इसमें पूरी दुनिया के विशेषज्ञ भारतीय ज्ञान पद्धति के बारे में अपना ज्ञान साझा करने एकजुट हुए हैं। आज मानसिक स्वास्थ्य पूरी दुनिया में बड़ी चिंता का विषय बन गया है इसलिए यह जरूरी है कि हम फिर से भारतीय ज्ञान पद्धति में वापस जाएं और बेहतर जीवन जीने में सहायक समाधान ढूंढ निकालें।

कार्यशाला में आईआईटी बाम्बे, आईआईटी खड़गपुर, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी (BHU) एम्स नई दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, आईएनएमएएस डीआरडीओ, ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी, पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, क्रिएटिव मूवमेंट थेरेपी एसोसिएशन आफ इंडिया, महर्षि मारकंडेश्वर यूनिवर्सिटी, एसआईवीएएस हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट, सिकंदराबाद, यूएस डिपार्टमेंट आफ वेटरंस अफेयर्स, यूएसए, लोयोला मेरिमाउंट यूनिवर्सिटी, टेक्सस यूनिवर्सिटी, बीइंग एआई और ब्रीदिंग माइंड्स के विशेषज्ञों की भागीदारी रही।

कार्यशाला में कई विषयों पर विमर्श (IIT Mandi Phenomenal Workshop)

कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक भारतीय ज्ञान पद्धति, योग और ध्यानय मानसिक स्वास्थ्य में सहायक कला के विभिन्न रूपों और आयुर्वेद, मनोविज्ञान के विषयों पर विमर्श किए गए और विचार-मंथन के सत्र भी इस आयोजन के मुख्य आकर्षण रहे।

गहन विचार-विमर्श के बाद भारतीय ज्ञान पद्धति और मानसिक स्वास्थ्य (IKSMH) के इस अभूतपूर्व प्रोग्राम की रूपरेखा तय की गई।

इस अवसर पर स्वागत संबोधन स्कूल आफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी में एसोसिएट प्रोफेसर डा. वरुण दत्त और धन्यवाद ज्ञापन डा. अर्णव भवसार, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल आफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी ने किया। IIT Mandi Phenomenal Workshop

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