इंडिया न्यूज़, शिमला:
New Online Intekal Service: जमीन खरीदते समय खरीदार के दिमाग में रजिस्ट्री की इतनी चिंता नहीं होती थी जितनी इंतकाल की। इंतकाल के बाद ही असली मालिकाना हक माना जाता है। ये समस्या किसी एक प्रदेश की नहीं बल्कि भारतवर्ष की है। हिमाचल प्रदेश के लोग इस समस्या से निजात पाने जा रहे हैं।
हिमाचल सरकार ने लोगों को बड़ी सौगात दी है। अब जमीन खरीदने के बाद जैसे ही रजिस्ट्री होगी, तो तुरंत बाद ऑनलाइन इंतकाल हो जाएगा। राजस्व विभाग की वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध रहेगी। नई व्यवस्था से लोगों को पटवारघरों और तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
पहले लोगों को इसके लिए चक्कर तो काटने ही पड़ते थे साथ ही घूस के तौर पर धन की हानि भी होती थी और भ्रष्टाचार अलग। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की मदद से हिमाचल प्रदेश के राजस्व विभाग ने मॉड्यूल अंडर ई-गवर्नेंस टू हेल्प द सिटीजन (मेघ) मॉड्यूल विकसित किया है। विभाग के अनुसार प्रदेश के 12 जिलों की 177 तहसीलों में यह सुविधा शुरू हो चुकी है। (New Online Intekal Service)
मेघ-जमाबंदी प्रणाली के माध्यम से पटवारी जमाबंदी की अपडेशन अब ऑनलाइन रिकार्ड में दर्ज कर सकेंगे। लोग भी जमीन की नकल, ततीमा और शजरा नस्ब राजस्व रिकॉर्ड के अलावा भूमि के विवरण, पूरे गांवों का नक्शे सहित गांवों से जुड़े अन्य गांवों की जानकारी भी ऑनलाइन ले सकेंगे।
मेघ प्रणाली से बैंकों को लॉग इन आईडी की सुविधा दी गई है। आवेदनकर्ता तहसील एवं पटवार सर्कल के चक्कर काटने के बजाय सीधे बैंक में जाकर केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर सकेंगे। बैंक के पास भी राजस्व रिकॉर्ड की जानकारी उपलब्ध रहेगी।
इससे पहले रजिस्ट्री की नकल लेकर पटवारी के पास इंतकाल दर्ज करवाने जाना पड़ता था। इसके बाद संबंधित पटवार सर्कल का दौरा कर तहसीलदार इंतकाल चढ़ाता था। इसके अलावा प्रदेश के लोग अब अपनी जमीन का पंजीकरण, निशानदेही, जमाबंदी, इंतकाल और चार्ज क्रिएशन/वीकेशन के लिए भी आॅनलाइन आवेदन कर सकेंगे।
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