इंडिया न्यूज़, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) केंद्रीय विश्वविद्यालय (central university) के शाहपुर परिसर (Shahpur Complex) में पृथ्वी एवम् पर्यावरण विभाग द्वारा कुलपति प्रो0 सतप्रकाश बंसल (Vice Chancellor Prof. Satprakash Bansal) के मार्गदर्शन में ’’पृथ्वी दिवस’’ (Earth Day) के उपलक्ष पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला के अंतर्गत व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन हुआ, जिसमे वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संसथान देहरादून के निदेशक डॉ0 कलाचंद सैन (Director Dr. Kalachand Sain) जम्मू व कश्मीर के पूर्व मुख्य वन-संरक्षक डॉ0 आर0 एस0 जसरोटिया एवंम जम्मू विश्वविद्यालय (Jammu University) के पर्यावरण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 राजकुमार रामपाल (Head of Department Prof. Rajkumar Rampal) ने बतौर वक्ता कार्यक्रम में अपने व्याख्यान दिए। स्कूल के अधिष्ठाता प्रो0 ऐ0 के0 महाजन ने डॉ0 कलाचंद सेन का स्वागत किया।
डॉ0 कलाचंद सैन ने पृथ्वी संरक्षण पर बल देते हुए भूविज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञानं में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) के महत्व से अवगत करवाया। डॉ0 आर0 एस0 जसरोटिया ने पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण पर चर्चा करते हुए भारत में पर्यावरण न्याय और चुनौतियों का वर्णन किया।
साथ ही साथ उन्होंने पर्यावरण से सम्बंधित संवैधानिक कानूनों व अधिकारों से अवगत करवाया। कार्यक्रम के अंत में प्रो0 महाजन द्वारा वक्ताओं को समृति चिन्हों से सम्मानित किया। कार्यक्रम में वक्ताओं व स्कूल के अधिष्ठाता के अलावा विभाग के अन्य सदस्य डॉ0 दीपक पंत, डॉ0 अनुराग लिन्डा, डॉ0 अंकित टंडन, डॉ0 दिलबाग सिंह, शोधार्थी व अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।
समारोह के दूसरे दिन व्याख्यान श्रृंखला में डॉ. कलाचंद सैन ने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करते हुए श्रोताओं को प्रेरित किया। उनका विषय ’’हिमालय में भू-खतरे’’ रहा, जिसमे उन्होंने तीन प्रकार के भू-खतरों जैसे भूकंप, भूस्खलन एवं हिमस्खलन तथा इससे होने वाले नुक्सान और कैसेइ न खतरों का अल्पीकरण किया जाए, के बारे में जानकारी दी।
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डॉ0 राज कुमार रामपाल ने पर्यावरण स्थिरता के बारे में जानकारी दी। इसमें उन्होंने अन्य विषय जैसे अपशिष्ट प्रबंधन, कृमि पालन एवं कृमि खाद पर सभी का ध्यान केन्द्रित करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन में इनकी भूमिका बताई। ’’मनुष्य पृथ्वी के बिना जीवन यापन नहीं कर सकता, परन्तु पृथ्वी मनुष्य के बिना भी कर सकती है’।
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व्यख्यान श्रृंखला के अंतिम भाषण में डॉ0 आर0 एस0 जसरोटिया ने कार्बन क्रेडिट व कार्बन ट्रेडिंग के बारे में राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर की जानकारी प्रदान की। साथ ही इन्होने वन में कार्बन जैव भार के मूल्यांकन की तकनीकें श्रोताओं के साथ साँझा की। डॉ0 अनुराग लिन्डा ने आए सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया।
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