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किसानों की सेवा को आखरी गांव तक पहुंचेगें: कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी

• LAST UPDATED : April 29, 2022

इंडिया न्यूज़, पालमपुर

किसानों की भलाई के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के आखरी गांव तक पहुंचने की जिम्मेदारी हमारी है। किसान (Farmer) अपनी ताकत को पहचानें और उसका सही स्थान पर प्रयोग करें। ये शब्द चौधरी सरवन कुमार (Chaudhary Sarwan Kumar) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) कृषि विश्वविद्यालय (agricultural university) के कुलपति प्रो0 एच0 के0 चौधरी (Vice Chancellor Prof. H.K.Chowdhary) ने कहे।

 

किसानों की सेवा को आखरी गांव तक पहुंचेगें: कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी

उन्होने यह जानकारी विश्वविद्यालय और सतद्युलुज जल वित निगम (Satdiluj Water Finance Corporation) के संयुक्त तत्वाधान में किन्नौर (kinnour) के सांगला (sangla) और कुल्लू (Kullu) के निरमंड ब्लाकों के 50 ग्रामीणों को एकीकृत खेती का प्रशिक्षण देने के लिए आयोजित छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर दी। उन्होंने कहा कि भोजन का उत्पादन और देश के लिए सीमाओं की देखभाल करना प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में बसे किसानों द्वारा किए गए दोहरे कठिन कर्तव्य है।

जनजातीय क्षेत्र के किसानों से आह्वान पहचानें अपनी ताकत 

किसानों की सेवा को आखरी गांव तक पहुंचेगें: कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी

उन्होने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के किसानों की अपनी खूबियां है। इन खूबियों को पहचानते हुए उसे विश्व पट्ल पर लाने का कार्य विश्वविद्यालय करेगा। सांगला में केसर, काला जीरा व राजमाॅश, ओगला, फाफरा और निरमंड की कुलथी की दाल की विशेषता है। इन्हें किसान घर-घर में लगाएं। उन्होंने कहा कि वह खुद विशेषज्ञों व प्रगतिशील किसानों के साथ उनके क्षेत्र में पहुंचेगें और उन्हें पारपंरिक फसलों की पहचान को कायम रखने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करते हुए गुणवत्ता बढ़ाने का कार्य मिलकर करेगें।

उनका विश्वविद्यालय राज्य की विभिन्न फसल किस्मों के संरक्षण और प्रचार के लिए प्रतिबद्व है। किसान इसके लिए विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों व शोध केंद्रों में पहुंच कर अपनी समस्याओं का समाधान विशेषज्ञों से करवा सकते है।

किसानों की सेवा को आखरी गांव तक पहुंचेगें: कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी

कुलपति चैधरी ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र  विकिए तरित

प्रसार शिक्षा निदेशक डा0 विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि यह प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन के तहत सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा प्रायोजित एक हजार किसानों के लिए 40 प्रशिक्षणों का भाग था। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र सब्जियोे की खेती, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, औषधीय और सुगंधित पौधों, नर्सरी उत्पादन, डेयरी फार्मिग आदि पर भी इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित कर रहे है।

सांगला की बबीता देवी और चांसू की ईश्वरी देवी ने कुलपति को किन्नौरी टोपी भेंट कर किया सम्मानित

प्रशिक्षण शिविर के इंजार्च डा0 लवभूषण, सहनिदेशक डा0 पवन पठानिया, प्रगतिशील किसान बिंदर राम वर्मा, हंसराज शर्मा, ईश्वरी देवी व रेखा देवी ने भी इस दौरान अपने विचार व्यक्त किए। जनसंपर्क इकाई के संयुक्त निदेशक डा0 हृदयपाल सिंह व डा0 अरूण कुमार सूद भी इस दौरान मौजूद रहें।

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