इंडिया न्यूज़, शिमला
पेयजल योजनाओं (drinking water scheme) के सुदृढ़ीकरण और जलस्रोतों को लंबे समय तक बनाये रखने की लिए सरकार ने विशेष योजनाएं बनाई हैं। पायलट प्रोजेक्ट (pilot project) के तौर पर राज्य में इस योजना को सबसे पहले मंडी (mandi) और कुल्लू (Kullu) जिला में कार्यान्वित किया जाएगा। इसके परिणाम आने के बाद ही इन्हे दूसरे इलाकों में लागु किया जाएगा।
इन परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति ने 353.57 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति दी है।पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना के तहत मंडी जिला में नौ खंडों की 147 योजनाओं लागु होंगी। उदर कुल्लू जिला के पांच खंडों की 110 योजनाओं में बफर स्टोरेज बना कर कार्य शुरू होगा।
आपको बता दे की जल जीवन मिशन के तहत मार्च तक सरकार द्वारा राज्य को कुल 2990.10 करोड़ रुपए उपलब्द करा दिए जाएंगे। प्रोजेक्ट मिशन के तहत राज्य में कुल मिलाकर 8.42 लाख घरों को जल उपलब्ध करवाया है। इसके इलावा स्वतंत्रता के बाद पिछले 72 वर्षों में कुल 7.63 लाख घरों को नल प्रदान किए गए। हिमाचल राज्य में कुल 17.28 लाख घरों या परिवारों को नल उपलब्ध करवाए गए है।
इन योजना के तहत कार्यान्वयन में प्रदर्शन के आधार पर सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 750 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जलशक्ति विभाग बनाया गया है।
जिला स्तर पर सभी 14 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से मान्यता मिल गयी है। इसके अलावा 36 उपमंडल को भी मान्यता मिल गयी है। कुल मिलाकर प्रदेश की 83 प्रतिशत प्रयोगशालाओं को एनएबीएल ने मान्यता प्रदान की है।
आपको बता दे की प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं का चयन किया गया है जिनको फील्ड टेस्ट किट सेे पेयजल की जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आपको बता दे की अभी तक 40 हजार 90 महिलाओं को यह प्रशिक्षण मिल चूका है। पिछले दो वर्षों में कुल 61,901 लोगों को जल गुणवत्ता के बारे में प्रशिक्षण मिल चूका है।