सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विभाग के वैज्ञानिक गांववासियों को केसर खेती के बारे में जानकारी देते हुए।
सीएसआईआर-आईएचबीटी एवं कृषि विभाग द्वारा केसर की उन्नत कृषि प्रौद्योगि की प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
- केसर उत्पादन की उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी’’ (Advanced Agricultural Technology of Saffron Production) पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया गया।
इंडिया न्यूज, पालमपुर।
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर (CSIR-IHBT Palampur) के वैज्ञानिकों की टीम एवं कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार के अधिकारियों द्वारा जिला कांगड़ा की दूर दराज ग्राम पंचायत बड़ाग्रां, तहसील मुलथान में किसानों के लिए ’’केसर उत्पादन की उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी’’ (Advanced Agricultural Technology of Saffron Production) पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में नलहोता, कोठीकोड, रुलिंग, राजगुन्धा, कुक्कड्गुंधा एवं आसपास के क्षेत्रों के लगभग 61 से अधिक महिला किसानों एवं युवकों ने प्रतिभागिता की।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार, ने अपने संदेश में बताया|
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार (Dr. Sanjay Kuamr Director CSIR-IHBT), ने अपने संदेश में बताया कि वर्तमान समय में केसर जम्मू और कश्मीर के पंपोर और किश्तवाड़ क्षेत्रों (Saffron in Pampore and Kisthwar in J&k) में उगाया जा रहा है जिसका वार्षिक उत्पादन 10-12 टन तक पहुंच गया है फिर भी भारत में 100 टन की वार्षिक मांग को पूरा करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विभाग के वैज्ञानिक गांववासियों को खेत में केसर की खेती के बारे में जानकारी देते हुए।
भारत (India) प्रति वर्ष लगभग 138 करोड़ रुपए का केसर विदेशों से आयात (Kesar Import) करता है अतः प्रदेश सरकार का कृषि विभाग (HP Agriculture Department), सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर (CSIR-IHBT Palampur) के साथ मिलकर केसर (Kesar-Saffron) की खेती के पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिसका उद्देश्य कश्मीर (Kasmir) के अलावा अन्य अनुकूल क्षेत्रों में केसर (Kesar-Saffron) की खेती करना है, जो भारत को केसर के उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने की दिशा में एक सार्थक पहल होगी। यह प्रशिक्षण शिविर भी इसी परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया जा रहें हैं ताकि कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को केसर की खेती की जानकारी प्रदान की जा सके।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विभाग के वैज्ञानिक गांववासियों को केसर के बीज के बारे में जानकारी देते हुए।
संस्थारन के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ0 राकेश कुमार ने ’’हि.प्र. में केसर की खेती की उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी’’ (HP Advanced Agricultural Technology of Saffron Cultivation in) विषय पर व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में उन्होंिन बताया कि हिमाचल प्रदेश के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में केसर की खेती की जा सकती है, जो किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभ दे सकती है।
उल्लेयखनीय है कि केसर प्राचीन काल से भारतीय व्यंजनों में उपयोग की जाने वाली एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है जो की औषधीय गुणों से भी भरपूर है। केसर की गुणवत्ता एवं इस की कीमत तीन मार्कर कंपाउंड्स जैसे क्रोसिन (Crocin)(रंग के लिए जिम्मेदार), पिक्रोक्रोसीन (Picrocrocin)(स्वाद के लिए जिम्मेदार) एवं सैफ्रानाल (Safranal) (सुगंध के लिए जिम्मेदार) की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विभाग के वैज्ञानिक तहसील मुलथान में किसानों के लिए ’’केसर उत्पादन की उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी’’ पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत लाभार्थियों के साथ।
इस अवसर पर बैजनाथ क्षेत्र के विषयवाद विशेषज्ञ अधिकारी डॉ0 रेणु शर्मा एवं अन्य कृषि अधिकारी भी उपिस्थरत रहे। डॉ0 रेणु शर्मा ने बताया की मुलथान तहसील के विभिन्न गाँवों में अक्तूबर 2021 में किसानों को केसर का बीज उप्लब्ध करवाया गया था।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केसर की उन्नत कृषि तकनीक, बुवाई, स्थल चयन, गुणवत्ता विश्लेषण, पोषक तत्व प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन, फसलौपरांत परक्रामण एवं भंडारण के बारे में भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर किसानों के खेतों का दौरा किया और किसानों की जिज्ञासाओं और शंकाओं का निवारण भी किया। सीएसआईआर-आईएचबीटी एवं कृषि विभाग द्वारा केसर की उन्नत कृषि प्रौद्योगि की प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन