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Biodiversity Park विलुप्त होती जड़ी-बूटियों की पहचान होगी आसान

• LAST UPDATED : February 13, 2022

Biodiversity Park विलुप्त होती जड़ी-बूटियों की पहचान होगी आसान

  • वादी-ए-भूलाह में राज्य का पहला जैव विविधता पार्क तैयार

इंडिया न्यूज, शिमला :

Biodiversity Park : वादी-ए-भूलाह, प्रदेश के साथ-साथ देश-विदेश के शोधकर्ताओं, पर्यटकों और हिमालय की विलुप्त होती जड़ी-बूटियों के संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए तैयार है।

मंडी जिले की जंजैहली घाटी के भूलाह में 1 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया गया प्रदेश का पहला बायो डायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता उद्यान) हिमालय की विलुप्त होती जड़ी-बूटियों के संरक्षण के साथ-साथ शोधकर्ताओं व पर्यटकों के लिए भी वरदान साबित होगा।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के विजन को साकार करते राज्य के इस पहले जैव विविधता पार्क को हिमाचल प्रदेश वन विभाग द्वारा नेशनल मिशन ओन हिमालयन स्टडीज (NMHS) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है।

यह राज्य का पहला पार्क है जिसमें विलुप्त होती जड़ी-बूटियों को संरक्षित करने पर बल दिया गया है। पार्क को पयर्टन गतिविधियों से जोड़ने के साथ-साथ शोधकर्ताओं के लिए हिमालय में पाई जाने वाली विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों (हर्बल प्लांट्स) पर शोध करने के नए मौके देने के लिए भी तैयार किया गया है जोकि विलुप्त होने की कगार पर है।

पार्क में प्रदर्शन के लिए पहाड़ों में विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों की हर्बल नर्सरी तैयार की गई है। इस नर्सरी में नाग छतरी, धूप, कडू, सर्पगंधा, चिरायता, टैक्स, बर्बरी, चैरा, पठानबेल, पत्थर चटा, भूतकेसी, न्यार, मुश्कवाला, वण, अजवायण, कूठ व वर्रे, संसरपाली, डोरी घास, रतन जोत, अतीश पतीश, वन ककड़ी, शिंगली मिगली, जंगली लहसुन, डुंगतली इत्यादि जड़ी-बूटियां प्रदर्शित की गई हैं।

यहां देश-विदेश का कोई भी शोधकर्ता इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर अपना शोध कार्य कर सकता है। इसके अतिरिक्त हर उस जड़ी-बूटी पर भी खोज कार्य किया जा सकेगा जिनकी अभी तक कोई पहचान नहीं हो पाई है।

इस हर्बल नर्सरी में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 1,200 पौधे शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में स्थापित गए राज्य के पहले इस अनूठे पार्क को 5 हेक्टेयर यानी 60 बीघा से अधिक भूमि पर तैयार किया गया है।

यहां शोधकर्ताओं के लिए विभिन्न मूलभूत सुविधाएं भी जुटाई गई हैं। भूलाह की सुंदर वादियों में स्थापित इस पार्क को चारों ओर से बाड़बंदी कर सुरक्षित बनाया गया है।

एनएमएचएस प्रोजेक्ट के विभिन्न कार्य लगभग 15 हेक्टेयर भूमि पर किए गए हैं। यहां आने वाले शोधकर्ताओं व पर्यटकों की सुविधा के लिए पार्क में एम्फी थियेटर भी बनाया गया है जहां पहाड़ी क्षेत्रों में उगने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकेगी।

शोधकर्ताओं के रहने व खाने-पीने की पूरी व्यवस्था (Biodiversity Park)

इस पार्क में देश-विदेश से आने वाले शोधकर्ताओं के रहने और खाने की व्यवस्था के लिए 2 लोग हट भी निर्मित किए गए हैं।

इसके अलावा 2 लोग्स हट, वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर, इंटरनल टैंक, 5 किलो वाट बिजली तैयार करने वाला प्रोजेक्ट, एम्फी थियेटर, पक्षियों के घोंसले, हर्बल नर्सरी, फूट ब्रिज व बिक्री केंद्र इत्यादि तैयार किया गया है।

पर्यटकों के लिए पार्क में 2 ट्री-हट भी तैयार किए गए हैं जहां से वे पार्क सहित अन्य रमणीक स्थलों को निहार सकते हैं। इसके अलावा लगभग 2 किमी की दूरी तक नेचर ट्रेल्स बनाई गई हैं।

25 फीट ऊंची व 160 मीटर लंबी ट्री-वाक तैयार की गई है। इसके अलावा 7 फुट ब्रिज बनाए गए हैं। पार्क के साथ लगते टैक्सस के जंगल में शोधकर्ताओं के लिए इंटरनल ट्रैक बनाया गया है जिसमें वे आसानी से घूम कर अपना रिसर्च कार्य कर सकते हैं। Biodiversity Park

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