India News (इंडिया न्यूज़), Bilaspur: हिमाचल प्रदेश संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ की बिलासपुर जिला ईकाई ने प्रदेश सरकार पर शास्त्री डिग्री धारकों के साथ अन्याय करने व उनकी भावनाओं के साथ मजाक करने का आरोप लगाया है। संघ ने प्रदेश सरकार से शास्त्री पदों पर पुराने नियमों के तहत भर्ती प्रकिया शुरू करने की मांग की है। ताकि उन्हंे न्याय मिल सके। यहां पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए संध के प्रदेशाध्यक्ष अचार्य मदन शाडिल्य ने कहा कि प्रदेश सरकार द्धारा सितंबर 2023 में पहले पुराने भर्ती नियमों के तहत शास्त्री पदों की भर्ती विज्ञापित की थी। लेकिन उसके 15 दिन बाद नए नियमों के तहत भर्ती घोषित कर दी। जिसमें बीए , एमए में वैेकल्पिक विषय के रूप में संस्करित पढने वाले अभ्यार्थियोें को भी इन पदो के योग्य माना गया। जबकि एनसीटीई के वर्ष 2011 के नियमों के तहत शास्त्री में 50 प्रतिशत अंक , टेट व बीएड की शर्त अनिवार्य थी। फिर उनसे धोखा क्यों । संस्करित विषय को पढाने के लिए शास्त्री होना जूररी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक तरफ नए नियमों के हवाला देकर उन्हें भर्ती प्रकिया से वंचित किया जा रहा है तो दूसरी तरफ पूर्व सैनिक बैकलाग में पुराने नियमो के तहत भर्ती की जा रही है। ऐसे में उनपर ही प्रदेश सरकार द्धारा जानबूझकर नए नियम क्यों थोपे जा रहे हैं। बल्कि दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले काफी वर्षो से नौकरी पाने का इंतजार कर रहे हेै। जब यह पद भरने की बारी आई तो उन्हें बाहर कर दिया जा रहा है। इस अवसर पर स्वामी राम मोहन दास ने कहा कि संस्कृत विषय को पढाने के लिए शास्त्री डिग्री धारक ही योग्य है। क्योंकि बीए , एमए में केवल साहित्य व अनुवाद होता है जबकि शास्त्री में वेद, व्याकरण, दर्शन सहित अन्य विषय शामिल है। उन्होंने प्रदेश सरकार से संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ की मांग पर गौर करने की मांग की हैै। अन्यथा वह संघ के साथ संघर्ष करने को भी तैयार है। उन्होने प्रदेश सरकार पर लार्ड मैकाले शिक्षा पद्धति को बढावा देने का आरोप लगाया।
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