India News (इंडिया न्यूज़) लाहौल स्पीति: शीत मरूस्थल के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश का जनजातीय जिला लाहौल स्पीति मनभावन दृष्यों नदियों, झीलों और बौद्ध संस्कृति का अनूठा समागम है। जिले में धार्मिक और इको पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार ने क्षेत्र की पर्यटन क्षमताओं के दृष्टिगत इस क्षेत्र में पर्यटन के नए आयाम स्थापित करने की परिकल्पना की है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को 500 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेजा है।
यह जनजातीय जिले में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने में काफी मद्दगार साबित होगा। इसके अतिरिक्त यह परियोजना जिले के अनछूए गन्तव्यों में पर्यटकों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने में सहायता करेगी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इसके अलावा दालंग गांव में 22 करोड़ रुपये की पर्यटन परियोजना प्रगति पर है, जो पर्यटकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
राज्य सरकार इस जनजातीय जिले को हिमाचल में एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है। यहां पर्यटकों के मनोरंजन के लिए ट्रेकिंग अभियान, रिवर राफ्टिंग, बाइकिंग और स्कीइंग जैसी साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
लाहौल स्पीति के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध अटल टनल रोहतांग का शिलान्यास जून, 2010 को नेशनल एडवाईजरी कांउसिल की तत्कालीन अध्यक्षा सोनिया गांधी ने किया था। इस टनल को अक्टूबर, 2020 में यातायात के लिए खोल दिया गया है। अटल टनल के खुलने से घाटी में पर्यटन उद्योग में आशातीत बढ़ौत्तरी देखने को मिली है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह राजमार्ग के लिए भी यह टनल वरदान है। जनजातीय जिले के मुख्यालय केलांग की दूरी कम करने के अलावा, यह देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध गंतव्य के रूप में उभरा है।