इंडिया न्यूज़, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी प्रदेश की जनता को विकास का आश्वासन दे रही थी, साथ ही प्रदेश से मंहगाई और बेरोजगारी को दूर करने की बात भी कही जा रही थी। वहीं पार्टी को सत्ता में आए करीब दो महीने हो गए है। अभी तक प्रदेश के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, बल्कि सरकार ने प्रदेश में आर्थिक ठीक न होने का हवाला दे रही है और प्रदेश की जनता को विकास कार्य अटकने, श्रीलंका जैसे हालात बनने की आशंका व कड़े फैसलों के लिए तैयार की बात कही जा रही है। सरकार के इस तरह के फैसलों से प्रदेश की जनता संकट में आती दिख रही है।
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने प्रचार कर जनता से पार्टी के पक्ष में वोट करने की अपील की थी। इस नेताओं में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत समेत कई नेताओं ने प्रचार किया था। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की जनता से 10 गारंटियां की थी, इनमें से कुछ गारंटियों को विधानसभा की पहली मंत्रिमंडल की बैठक में पूरा करने की बात कही थी। प्रदेश की जनता सरकार की गारंटियों को पूरा करने का इंतजार कर रही है।
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कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बहुमत हासिल कर जीत दर्ज की थी। जीत के बाद कांग्रेस ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। 11 दिसंबर, 2022 को सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने उपमुख्यमंत्री के पद पर शपथ ग्रहण कर हिमाचल प्रदेश में सरकार का कार्यभार संभाला। 11 फरवरी 2023 को हिमाचल में सरकार को सत्ता में दो महीने पूरे हो गए। वहीं प्रदेश की जनता गारंटी में किए गए वादों को का इंतजार कर रही है।
प्रदेश में अभी तक 1.36 लाख कर्मचारियों के लिए पूरानी पेंशन बहाली को लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह देने को भी जून तक टाल दिया गया है। प्रदेश के युवाओं को रोजगार, विधायक निधि, स्वैच्छिक निधि और उपायुक्त फंड को भी रोक दिया गया है।
प्रदेश में इन दिनों सीमेंट ढुलाई को लेकर कंपनी और ट्रक ऑपरेटरों के बीच विवाद चल रहा है। हिमाचल की सुक्खू सरकार सीमेंट ढुलाई के मामले को सुलझाने में नाकाम दिख रही है। कुछ दिन पहले अडानी समूह की कंपनी ने बिलासपुर के बरमाणा और सोलन जिले के दाडलाघाट में सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया है, जिसके बाद ट्रक ऑपरेटरों को अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आना पड़ा और ट्रक ऑपरेटर यूनियन को अपने हित में फैसले लेने को मजबूर होना पड़ा है।
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