India News (इंडिया न्यूज़), AIIMS Bilaspur, Himachal: हिमाचल प्रदेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में आगामी तीन माह में कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला (कैथ लैब) शुरू हो जाएगी। इसके शुरू होने के बाद दिल के मरीजों को बिलासपुर एम्स में ही सही इलाज मिलेगा। एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी जैसी सुविधाएं मरीजों को मिलेंगी। एम्स में कैथ लैब स्थापित करने का कार्य 50 फीसदी पूरा हो चुका है। यह लैब आधुनिक उपकरणों से लैस होगी।
लैब शुरू होने के बाद एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग की पूरी सेवाएं मरीजों को मिलना शुरू हो जाएंगी। अभी तक ओपीडी में ही सेवाएं मिलती थी। अब एंजियोग्राफी,एंजियोप्लास्टी के लिए किसी अन्य संस्थान का रुख मरीजों को नहीं करना पड़ेगा। वहीं निजी अस्पतालों में महंगे दाम पर यह टेस्ट कराने से भी छुटकारा मिलेगा।
यह आधुनिक लैब कार्डियो के मरीजों को जीवन दान देने में अहम भूमिका निभाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में एम्स संस्थान में बनाई जाने वाली कैथ लैब की मशीन सटीक काम करती हैं। इनसे न केवल रेडिएशन कम होगा, बल्कि हार्ट संबंधी बीमारियों के मरीजों के एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी जैसे प्रोसीजर में लगने वाला समय आधा रह जाता है।
बिलासपुर एम्स में कैथ लैब का कार्य 50 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। यह एक अत्याधुनिक लैब होगी। आने वाले तीन महिनों में इसका कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद बिलासपुर में मरीजों को इस लैब से जुड़ी सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएंगी। एम्स दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है और कोशिश है कि बिलासपुर एम्स देश भर के अव्वल स्वास्थ्य संस्थानों की श्रेणी में शामिल हो। डॉ. दिनेश वर्मा, एमएस, बिलासपुर एम्स
एम्स बिलासपुर में गायनी, मेडिसिन,कार्डियो समेत तकरीबन सभी विभागों के जूनियर रेजिडेंट हैं। कई विभागों में तो सीनियर रेजिडेंट भी कार्यरत हैं लेकिन अभी तक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, नेफ्रो सर्जन का पद खाली चल रहा हैं। जिस वजह से इन दोनों सेवाओं का लाभ एम्स में लोग नहीं ले पा रहे है। इसके साथ-साथ एम्इस में नवजात सघन देखभाल इकाई (निकु) शुरू करने की प्रक्रिया भी जारी है। दरअसल, यह कब तक शुरू होगा और इसका कार्य कब तक पूरा होगा इसका अभी कोई समय निर्धारित नहीं है।
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