India News (इंडिया न्यूज़), Apple Season, Himachal: हिमाचल प्रदेश में बागवानों के लिए आय का मुख्य साधन सेब ही है. सेब सीजन एक त्यौहार की तरह पूरे हिमाचल में मनाया जाता है. क्योंकि जुलाई अगस्त के महीने में हिमाचल में सेब तोड़ान शुरू होता है, उसके बाद सेब पैक होकर मंडियों में जाता है. परंतु इस साल सेब सीजन हिमाचल के पहाड़ी राज्यों में कहर बनकर बरपा है क्योंकि जिस गांव में सेब सीजन जून में शुरू होता था वहां शुरू करते करते जुलाई आ गई. जहां जुलाई में शुरू होना था वहां सेब सीजन अगस्त में शुरू हो रहा है. बागवानों का कहना है कि इतनी तेज़ बारिश के चलते सेब पेड़ पर टिक नहीं पा रहा और नष्ट हो रहा है. सेब सीजन लेट शुरू होने की वजह से
जो बचा खुचा सेब पेड़ों पर है वो काला पड़ता जा रहा है. -संवादाता श्वेता नेगी
सरकारों का कहना है कि इस बार मंडियों में सेब किलो के भाव से बिकेगा. इसके लिए बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने सख्त निर्देश दे दिए हैं कि सबको इस नियम पर काम करना होगा. जो आढ़ती इस नियम का पालन नहीं करता उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. अब ये तो तय हो चुका है कि सेब किलो के हिसाब से बिकेगा. पर क्या मंडियों तक सेब पहुंच भी पा रहा है. क्योंकि हिमाचल में सड़कें इतनी खराब हैं कि सेब दूर दराज के गांव से ट्रकों में ही लोड होकर मंडियों तक पहुंचता है. एक मात्र सड़क ही साधन है. एक तस्वीर हिमाचल प्रदेश के रोहडू से एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. बागवानों का सेब जब मंडियों तक समय पर नहीं पहुंच रहा तो रोहडू के लोगों ने ये तय किया कि सभी क्रेटों में भरे सेबों को खड्ड में ही फैंकने में ही भलाई है.
क्योंकि कहीं और इसे रखा नहीं जा सकता. सेब के सड़ने से पर्यावरण को भी नुकसान होगा. अब इसे बागवानों के विरोध के नजरिए से भी देख सकते हैं. इस वीडियो में कुछ लोग बात करते हुए नजर आ रहे हैं कि मालिक सेब खुल के मंडियों में बेच दिए ? लोगों का कहना है कि प्रशासन उनकी ओर ध्यान ही नहीं दे रहा सड़कें बंद है. बागवान जाए तो जाए कहां ? दरअसल यही सेब इन बागवानों की आय का मुख्य साधन है. और सेब साल में एक ही बार होता है. तो पूरी साल की कमाई सब सेब सीजन में झौंक दी जाती है. अब जब साल की कमाई की बात हो तो किसानों का विरोध प्रदर्शन करना भी सही है. आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि टैंपू से क्रेट लाई जा रही है और नदी में एक एक करके फैंकी जा रही है. -संवादाता स्वाती नेगी
ये तस्वीरें डराने वाली और अंदर तक झकझोर देने वाली है. क्योंकि हिमाचल में बागवानों की आय का मुख्य साधन
विपदा की स्थिती में दंश झेल रहा है. बागवान लाचार है उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
बागवानों का कहना है कि पिछले 1 महीने से सड़के बंद है, जगह जगह लैंडस्लाइड हो रहे हैं प्रशासन सुध नहीं ले रहा.
बागवानों की हालत भी नाजुक है, क्योंकि सेब को पेड़ों पर रखना भी उनके लिए खतरा है, पेड़ पर सेब रखे-रखे सड़ जाएगा और उससे आने वाली साल की फसल पर भी नुकसान होगा. पूरे प्रदेश में किलो के हिसाब से सेब बिकने की बात हो रही है. मतलब अगर आपकी पेटी का वजन 22 किलो है और एक किलो का भाव 100 रुपए तय किया गया है तो सीधा सीधा पेटी 2200 रुपए की बिकेगी पहले जो सेब की पेटी का वजन 35 किलो भी होता था वो भी इसी भाव में तोली जाती थी. चर्चाएं सरकारों में किलो के हिसाब से तोलने की हो रही है पर किलो के हिसाब से रेट तब तय किया जाएगा जब मंडियों तक सेब पहुंच पाएगा. हिमाचल के कोटखाई के रोहडू की ये तस्वीर भी सरकार तक जरूर पहुंचनी चाहिए. -संवादाता श्वेता नेगी
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