समाज में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिकाओं की सराहना की

समाज में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिकाओं की सराहना की

  • केंद्रीय विवि की स्पर्श समिति की ओर से संगोष्ठी का आयोजन
  • विवि के कुलसचिव प्रो. विशाल सूद ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता

इंडिया न्यूज, धर्मशाला (Dharamshala-Himachal Pradesh)

अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav)के क्रम में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्पर्श समिति (Sapars Committee of Himachal Pradesh Central University) की ओर से “आजादी के 75 वर्ष बाद भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति” “Status of women in Indian society after 75 years of independence” विषय को लेकर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की स्पर्श समिति की अध्यक्ष डॉ0 गीतांजली उपाध्याय (Sparsh Committee President Dr. Geetanjali Upadhyay) द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव महोदय एवं अधिष्ठाता शिक्षा संकाय प्रो0 विशाल सूद (Registrar and Dean Faculty of Education Prof. Vishal Sood)द्वारा की गई।

भारत में स्त्रियाँ सदैव पूजनीय रही- प्रो0 विशाल सूद

कार्यक्रम के दौरान आजादी के 75 वर्षों बाद भारतीय समाज के विकास में स्त्रियों की भूमिकाएं तथा योगदान के साथ- साथ उनके बदलते स्वरूप पर विचार-विमर्श किया गया। इस मौके पर प्रो0 विशाल सूद ने कहा कि भारत में स्त्रियाँ सदैव पूजनीय रही हैं। वर्तमान समय में स्त्रियाँ कंधों से कंधे मिलाकर बराबरी कर रही हैं। साथ ही उन्होंने स्त्रियों को केंद्र में रखकर चल रही सरकारी योजनाओं की तरफ भी सभी का ध्यान केन्द्रित करते हुए उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके पश्चात धौलाधार परिसर-1 के निर्देशक प्रो0 मनोज सक्सेना ने संगोष्ठी विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्त्रियों को निर्णय लेने की क्षमता के प्रति और सशक्त होने की जरूरत है। विवेकानंद जी का मानना था कि किसी भी समाज को या राष्ट्र को समझना हो तो वहां के समाज में स्त्रियों की स्थिति से समझा जा सकता है।

आजादी के आंदोलन में महिलाओं की भूमिकाओं तथा राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर विचार-विमर्श किया

भाषा संकाय के अधिष्ठाता डॉ0 बृहस्पति मिश्र ने भारतीय समाज में स्त्रियों के बदलते स्वरुप तथा उनके क्रमिक विकास पर प्रकाश डाला। सहायक आचार्य राजनीति विज्ञान एवं स्पर्श समिति की सम्मानित सदस्य ज्योति पराशर ने आजादी के आंदोलन में महिलाओं की भूमिकाओं तथा राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर विचार-विमर्श किया। इसी श्रृंखला की अगली कड़ी में हिंदी विभाग से डॉ. चंद्रकांत द्वारा संगोष्ठी विषय पर विचार रखते हुए साहित्य में महिला लेखिकाओं ने किस प्रकार लेखनी के माध्यम से अपना योगदान निभाया है उस पर भी उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये।

हिंदी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ0 प्रिया शर्मा ने संगोष्ठी विषय को सार्थक करती कविता का पाठ किया और साथ सभी को यह संदेश दिया कि लड़कियों को अपना संघर्ष स्वयं ही लड़ना पड़ेगा उसके लिए लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। कार्यक्रम का अंत धन्यवाद ज्ञापन के साथ विश्वविद्यालय शिकायत समिति की अध्यक्ष एवं हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ0 प्रीति सिंह ने किया तथा सम्पूर्ण कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग की शोधार्थी नेहा झा द्वारा निर्वहन किया गया।

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Shailesh Bhatnagar

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