इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh)
हिमाचल प्रदेश से भाजपा नेता सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) ने आरोप लगाया है कि जो लोग जमानत पर हैं, वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Congress worker) से दिल्ली को घेरने (besiege Delhi) और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने को कह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज गांधी परिवार के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए पूरी दिल्ली को बंधक बनाया जा रहा है और कांग्रेस पार्टी द्वारा आम आदमी को असुविधा दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचारियों को जवाबदेही से बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी के इस कृत्य विरोध की कड़ी निंदा करती है।
सुरेश ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज कांग्रेस और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कुछ सवालों का जवाब देना चाहिए कि क्या एसोसिएटिड जनरल लिमिटेड (AJL) 1930 के दशक में 5000 स्वतंत्रता सेनानियों की भागीदारी के साथ समाचार पत्र प्रकाशित करने के लिए बनाई गई कंपनी थी?
क्या वही कंपनी यंग इंडियंस के माध्यम से गांधी परिवार के तहत अचल संपत्ति का कारोबार नहीं कर रही है? कश्यप ने पूछा कि क्या यंग इंडियंस कंपनी का गठन वर्ष 2010 में 5 लाख की पूंजी के साथ हुआ था जिसका स्वामित्व राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास नहीं था जिनके पास 76 फीसदी शेयर हैं?
क्या एजेएल की 2000 करोड़ रुपए से अधिक की पूरी संपत्ति जो स्वतंत्रता सेनानियों की थी, यंग इंडियंस कंपनी के माध्यम से एक परिवार को नहीं सौंपी गई थी?
उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी की यंग इंडियन कंपनी का डोटेक्स मर्चेंडाइज के साथ क्या संबंध हैं, जो इस गुप्त लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए कोलकाता स्थित हवाला कंपनी है?
कश्यप ने कहा कि वर्ष 2010 में एजेएल के सभी शेयर गांधी परिवार के यंग इंडिया को हस्तांतरित कर दिए गए थे और इसके साथ ही एजेएल की 2000 करोड़ रुपए की पूरी संपत्ति गांधी परिवार को एक नकली लेन-देन के माध्यम से दी गई थी।
उन्होंने कहा कि जनता से चंदे के रूप में कांग्रेस को मिले 90 करोड़ रुपए एजेएल को कर्ज के रूप में दिए गए और बाद में यंग इंडियन को माफ कर दिया गया जिसने एजेएल से यह कर्ज लिया था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में यंग इंडिया को एक धर्मार्थ कंपनी के रूप में बनाया गया था। इसमें 2016 तक कोई धर्मार्थ कार्य नहीं किया गया था, बल्कि इस कंपनी के माध्यम से अचल संपत्ति का काम शुरू हुआ था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी एजेएल और यंग इंडियन के बीच शेयर लेन-देन को दिखावा करार देते हुए टिप्पणी की थी।
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