India News (इंडिया न्यूज़), Bilaspur News, Himachal: पशुपालकों को रोजगार देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बरठीं ने अनूठी पहल शुरू की है। विज्ञान केंद्र ने बल्ह सीहणा गांव को गोद लिया है। कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से गांव के सौ लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। ये लोग कृषि विज्ञान केंद्र बरठीं के मार्गदर्शन में गाय के गोबर से धूप, अगरबत्ती, हवन की समिधा और गमले बनाना सीख रहे हैं।
गांव में तीन लाख रुपये की मशीनें भी स्थापित कर दी गई हैं। यहां पर गाय के गोबर के गमले भी बनाए जाएंगे। इनकी विशेषता यह होगी कि यह गमले सस्ते भी होंगे और पौधों को इनसे जरूरी पोषक तत्व भी मिलते रहेंगे। यदि गोबर बच जाता है तो उसको सूखाकर इसका पाउडर बद्दी की फैक्ट्रियों में भेजा जाएगाए जहां पर भट्ठियों में ईंधन के रूप में इसका उपयोग होगा। इसके अलावा कोयले के पाउडर को गोबर में मिलाकर उपले बनाने पर ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा।
जिले में बहुत लोग पशुपालन से जुड़े हैं। इन लोगों के पास अपनी जरूरत को पूरा करने के बाद पशुओं का गोबर बच जाता है, जिसका अब उपयोग हो पाएगा। इससे गांव और शहरों में स्वच्छता भी होगी और इसके उपयोग से लोग अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर सकेंगे। दावा किया जा रहा है कि कृषि विज्ञान केंद्र बरठीं इस प्रकार की पहल करने वाला प्रदेश का पहला केंद्र है।
पशुओं का गोबर जो उपयोग से बच जाता है उसका उपयोग गमले, धूप और अगरबत्ती आदि बनाने क लिए किया जा सकेगा। बल्ह सीहणा गांव में ट्रायल किया जा रहा है। सफल होने पर अन्य जगह भी इस पर कार्य किया जाएगा।
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