Bilaspur: हिमाचल प्रदेश में निर्माणधीन किरतपुर-नेरचौक फोरलेन में बिलासपुर और मंडी में परिवर्तित भूमि को केंद्र के नाम नहीं किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी में इस बात को लेकर खुलासा हुआ है कि इन दो जिलों में निजी भूमि को छोड़कर सरकार के नाम कोई जमीन नहीं है। इसकी पुष्टि तहसीलदार मनाली ने अपने कार्यालय की पत्र संख्या 289-90 में की है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की भूमि अधिग्रहण इकाई और प्रदेश के राजस्व विभाग ने परियोजना में तीन जिलों कुल्लू, मंडी और बिलासपुर की 10 तहसीलों, तीन उप तहसीलों में कुल 208 इंतकाल निजी भूमि को केंद्र सरकार के नाम पर दर्ज किए हैं।
हिमाचल प्रदेश में किरतपुर-नेरचौक फोरलेन के लिए परिवर्तित भूमि में केंद्र का नाम नहीं है, इस बात का खुलासा आरटीआई में हुआ है। बिलासपुर व मंडी की सरकारी और वन भूमि की एनएचएआई के नाम परिवर्तित भूमि में केंद्र सरकार का नाम दर्ज नहीं है। बिलासपुर में तहसीलदार ने निजी भूमि का अधिग्रहण करके उसी भूमि को केंद्र के नाम कर दिया।
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि आरटीआई के अनुसार उपतहसील औट मंडी ने ये जानकारी उपलब्ध करवाई है कि उपतहसील औट में चार मुहाल ऐसे पाए गए, जिनमें परिवर्तित भूमि के साथ अधिग्रहीत की गई भूमि के नक्शे ही संलग्न नहीं हैं।
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