India news (इंडिया न्यूज़), Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक अपराध है जिसमें की बच्चे का यौन आग्रह या नाबालिग की भागीदारी वाली अश्लील सामग्री को शामिल किया जाता है। इसमे बच्चों को बहला-फुसलाकर उनको ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार किया जाता है। फिर उनके साथ यौन संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रिकॉर्ड करके एमएमएस बनाना या फिर उसको दूसरों को भेजना आदि भी इसके तहत आते हैं। लेकिन इसमे बच्चों से मतलब है – 18 साल से उससे से कम उम्र के लोग से है।
बता दें, भारतीय कानून के अनुसार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी की तस्वीरें बनाना, उसे उत्पादित करना और शेयर करना बिल्कुल गैरकानूनी है। POSCO एक्ट 2012 के धारा 14 और 15 में बताया गया है कि किसी भी बच्चे का इस्तेमाल चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए करने पर 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही, IT एक्ट की धारा 67B में भी किसी भी तरह के चाइल्ड न्यूड कंटेंट को रखना, ब्राउज करना, डाउनलोड करना, एडवर्टाइज करना, प्रमोट करना और शेयर करना गैरकानूनी है।
बच्चों को एक्सप्लॉयटेटिव गतिविधियों से सुरक्षित रहने का अधिकार है के निम्न स्टेप्स:
-पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित करें।
-उसके बारे में कानून की उचित जानकारी होनी चाहिए।
-सामुदायिक समर्थन जुटाएं (मोबिलाइज कम्युनिटी सपोर्ट)
-बच्चे को परामर्श (काउंसलिंग) देना चाहिए और उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम 2000, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम 2012 में पोर्नोग्राफी से जुड़े कई प्रावधान हैं। बता दें, भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध के तौर पर माना जाता है जिसको लेकर इस पर कई कानून हैं
भारतीय दण्ड संहिता, 1860: भारत की प्राचीनतम दण्ड संहिता में, बाल यौन उत्पीड़न और बाल अश्लीलता को अपराध के रूप में माना गया है।
धारा 354, 354A, 354B, 354C और 376एबी में बाल यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों के लिए सजा दी गई है।
बाल अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019: यह अधिनियम भारत के सभी बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है. इस अधिनियम में, बाल यौन उत्पीड़न, बाल अश्लीलता और बाल विपत्ति जैसे अपराधों के लिए कानून हैं।
इंफांट लेबर (प्रतिबंध) अधिनियम, 2016: यह अधिनियम बच्चों को श्रम से मुक्ति देने के लिए बनाया गया है. यह अधिनियम उन लोगों के खिलाफ होता है जो बाल श्रम, बाल यौन उत्पीड़न और बाल अश्लीलता जैसे अपराधों में बच्चों का इस्तेमाल करते हैं।
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