इंडिया न्यूज, हिमाचल प्रदेश (Cinnamon Cultivation): अब हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में भी दालचीनी की खेती होगी। दालचीनी की फसल साल 2025 तक बाजारों में आ जाएगी। प्रदेश के पांच जिलों में पहली बार ट्रायल के रूप में 50-50 पौधे लगाए गए थे। जिन जिलों में ट्रायल किया गया था उनमें हमीरपुर, सिरमौर, बिलासपुर, ऊना, कांगड़ा जिले शामिल हैं। वहीं किसानों की बढ़ती मांग को देखते हुए साल 2022 में इन पांचों जिलों में करीब 10,000 के करीब अतिरिक्त दालचीनी के पौधे लगाए गए।
एक सप्ताह पहले सीएसआईआर (हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर) के वैज्ञानिक डॉ. रमेश चौहान के नेतृत्व में दोबारा पौधों की निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पौधे ठीक हैं और पौधों की ग्रोथ भी ठीक है। अब हिमाचल के बाजारों में वर्ष 2025 तक इन पौधों से दालचीनी की फसल मिलने की पूरी संभावना है।
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हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर से योजना अन्वेषक वैज्ञानिक डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि दालचीनी की खेती के लिए पौधों का निरीक्षण किया गया है। इन पौधों से चार वर्ष में दालचीनी प्राप्त होती है। पूरी उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक दालचीनी की फसल मिलने लगेगी। उन्होंने बताया कि सभी पौधे अच्छी ग्रोथ कर रहे हैं। इस परियोजना में डॉ. रमेश चौहान के साथ डॉ. सतबीर सिंह तथा परियोजना सहायक विक्रांत सिंह, रोमिका ठाकुर, सिद्धार्थ भागला समेत कई लोग कार्य कर रहे हैं।
दालचीनी की फस औषधीय गुणों से भरपूर है। शरीर में कॅालेस्ट्राल बढ़ जाने पर दालचीनी का सेवन से कॅालेस्ट्राल को कम किया जा सकता है। इलके अलावा दालचीनी के सेवन से पेट गैस, कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है। सर्दी-जुकाम, हड्डियों में दिक्कत, गठिया, मोटापा, मधुमेह जैसी समस्याओं से निजात पाने में दालचीनी का सेवन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वहीं, इसके सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।
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