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Climate Change Effect in Himachal: मैदानों में पारा बढ़ने से गडरिय भेड़-बकरियों के साथ पहाड़ो की ओर

• LAST UPDATED : April 8, 2022

इंडिया न्यूज़,पालमपुर:

Climate Change Effect in Himachal: वर्तमान समय में भेड़-बकरी पालन व्यवसाय बड़ा ही मेहनत का है। पूरे वर्ष परिवार वालों से दूर रह कर हर मौसम का सामना करना पडता है। साल भर परिवार से दूर रह कर धूप, बारिश व बर्फ व जंगली जानवरों से अपनी व अपनी भेड़-बकरियों की रक्षा करना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि आजकल वैसे भी भेड़ बकरियों को चराने के लिए जगह कम ही बची है, वहीं अब नई जेनरेशन इस व्यवसाय से मुख मोड़ रही है।

Climate Change Effect in Himachal

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आजकल तो चैरों ने भेड़-बकरी चोरी करने का नया तरीका ढुढ़ लिया है, जिसमें रात को जहां पर भी सड़क के नजदीक भेड़पालक रूकते हैं, चोर गाड़ी लेकर आते हैं और भेड़-बकरी को अंधेरे में उठा भाग जाते हैं जिससें भेड़-बकरी पालने वालों को काफी समस्या हो रही है।

वर्तमान समय में जो भी लोग यह काम करते हैं, वे सर्दियों में पहाड़ों से उतरकर मैदानी क्षेत्रों से आ जाते हैं। ऐसे में अब मौसम खुलने के बाद ये चरवाहे वापस पहाड़ों की ओर रुख कर रहे हैं।(Climate Change Effect in Himachal) इस बार मौसम में जल्दी गर्मी होने से चरवाहे जल्दी ही पहाड़ों की ओर जा रहे हैं। गर्मी के मौसम में चरवाहे भेड़-बकरीयों को लाहौल या किन्नौर की ओर ले जाते है जबकि सर्दियों के मौसम में उना, होशियारपुर, देहरादून की ओर ले जाते है। मौसम के बदलने और चारे के लिए कम होती जगह, रात को भेड़-बकरी के चोरी होने से लोगों में अब इस व्यवसाए में कम रूचि हो रही है।

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