इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh)
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने आज यहां पीटरहाफ से हिमाचल प्रदेश वासियों के लिए राज्य परिवहन विभाग के व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन निगरानी केंद्र (Vehicle Location Tracking Device and Emergency Button Monitoring Center) का लोकार्पण (inaugurates) किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के लोग शांतिप्रिय हैं और एक-दूसरे का सम्मान तथा कानून का पालन करते हैं लेकिन फिर भी राज्य सरकार महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि इस व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन निगरानी केंद्र को इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम 112 से जोड़ा गया है।
इस प्रणाली में जब पैनिक बटन दबाया जाता है, तो सेटेलाइट के जरिए 112 पर एक सिग्नल प्राप्त होगा और संकट में फंसे व्यक्ति से संपर्क करने के साथ पुलिस को भी सूचित किया जाएगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि निर्भया की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत सार्वजनिक परिवहन वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और इमरजेंसी पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत स्थापित किए गए इस निगरानी केंद्र के माध्यम से वाहनों की चोरी और वाहन दुर्घटनाओं का पता लगाना आसान हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक अभिनव पहल है जो राज्य की सड़कों को और अधिक सुरक्षित बनाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य ने इस परियोजना के कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई है जोकि प्रत्येक प्रदेशवासी के लिए गर्व का विषय है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सदैव प्रयासरत रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत और इस उपकरण से लैस वाहन को देश में कहीं भी ट्रैक किया जा सकता है जो वास्तव में एक तकनीकी चमत्कार है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में इस उपकरण के माध्यम से वाहन के संबंध में त्वरित व सटीक जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि कुल्लू में हुई बस दुर्घटना के संबंध में सूचना में हुए विलम्ब के कारण बचाव अभियान में देरी हुई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2021 तक स्टेज कैरिज, कांट्रैक्ट कैरिज और शैक्षणिक संस्थानों की बसों के टोकन टैक्स, एसआरटी और पीजीटी में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की है ताकि ट्रांसपोर्टर्स को इस कठिन समय के दौरान राहत मिल सके।
उन्होंने कहा कि इस पहल से ट्रांसपोर्टर्स को 164 करोड़ रुपए की राहत प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि 9,423 से अधिक वाहनों को इस प्रणाली से जोड़ा गया है और पिछले 1 साल के दौरान इन वाहनों की यात्रा का पूरा विवरण निगरानी केंद्र में उपलब्ध होगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल पालिसी, 2022 लागू की है।
उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक कुल 1,150 इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण के समय पंजीकरण शुल्क और टोकन टैक्स में शत-प्रतिशत छूट प्रदान कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने भी विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में छठी कक्षा से सड़क सुरक्षा का एक अध्याय शामिल करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस परियोजना को एक नाम दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण यातायात का मुख्य साधन सड़क परिवहन ही है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ की वेबसाइट का लोकार्पण किया और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन निगरानी केंद्र से संबंधित प्रचार साहित्य और सामग्री का विमोचन भी किया।
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने राज्य परिवहन विभाग को इस योजना को लागू करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि अभिनव पहल को कार्यान्वित कर हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को प्रदूषण मुक्त परिवहन सुविधा प्रदान करने में इलेक्ट्रिक बसें सहायक सिद्ध हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए स्कूल बसों के संचालन के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाए गए हैं।
परिवहन एवं उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश इस अभिनव परियोजना को शुरू करने वाला देश का पहला राज्य है और इसका श्रेय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज के हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य के युवा रोजगार पाने वालों की जगह रोजगार प्रदाता बनें।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी परिवहन कर्मचारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी महामारी से प्रभावित न हो और विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए सभी हिमाचलियों को घर वापस लाने के लिए समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति राज्य के लोगों के लिए अधिक सुरक्षित और आरामदायक परिवहन सुविधा सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को सड़क सुरक्षा के संबंध में शिक्षित करने के लिए सड़क सुरक्षा का अध्याय स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
प्रधान सचिव परिवहन आरडी नजीम ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्यिों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली वाहनों की चोरी और वाहनों से जुड़े अपराधों आदि को रोकने में मददगार साबित होगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। निदेशक परिवहन अनुपम कश्यप ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
सी-डैक के निदेशक सतीश सिन्हा ने इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
इस अवसर पर हिमफैड के अध्यक्ष गणेश दत्त, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव एवं सलाहकार डा. आरएन बत्ता, हिमाचल पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार, शहर के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
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