इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh)
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPI(M) ने वामपंथी पार्टियों के महंगाई (inflation) के विरुद्ध देशव्यापी अभियान के तहत बुधवार को शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन (protest) किया।
माकपा कार्यकर्ताओं ने राजधानी के लोअर बाजार होते हुए शेर-ए-पंजाब तक रैली निकाली। इस प्रदर्शन में माकपा नेता संजय चौहान, जगत राम, विजेंद्र मेहरा, जगमोहन ठाकुर, बालक राम, किशोरी डटवालिया, विनोद बिसरांटा, अनिल ठाकुर, हिम्मी देवी, जयशिव ठाकुर, अमित ठाकुर, महेश वर्मा, रमन थारटा, विवेक राज, नेहा आदि ने भाग लिया।
माकपा के जिला शिमला के सचिव संजय चौहान ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के चलते देश में महंगाई, बेरोजगारी व कृषि का संकट तेजी से बढ़ा है।
इससे देश की आम जनता विशेष रूप में मेहनकश वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और उसके आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि देश में मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के कारण आज देश में महंगाई बढ़ने की दर कई दशकों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि अप्रैल में थोक महंगाई दर 15.08 फीसदी व खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी रही है जोकि अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। देश में पेट्रोलियम पदार्थों, खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।
मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सरसों का तेल, आटा, दूध, सब्जियां व अन्य आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हुई है।
संजय चौहान (Sanjay Chauhan) ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों में एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि कर लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है।
जहां वर्ष 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपए प्रति लीटर व डीजल पर 3.56 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी ली जाती थी, वहीं सरकार द्वारा अब भी पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कटौती के बावजूद पेट्रोल पर 19.90 रुपए प्रति लीटर व डीजल पर 15.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी ली जा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में पेट्रोल पर 32.90 रुपए प्रति लीटर व डीजल पर 31.80 रुपए प्रति एक्साइज ड्यूटी सरकार द्वारा ली गई है।
चौहान ने कहा कि वर्ष 2014 में घरेलू गैस का सिलेंडर जहां 414 रुपए का था, वह आज 1,100 रुपए का हो गया है। आज कमर्शियल सिलेंडर 2,300 रुपए का मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी से 99 हजार करोड़ रुपए एकत्र किए, वहीं कोविड महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में 3.73 लाख करोड़ रुपए एकत्र किए गए।
उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में 2014 से लेकर सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों से 18.23 लाख करोड़ रुपए एकत्र किए हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि से मालभाड़े में भी वृद्धि हुई जिससे खाद्य व अन्य वस्तुओं के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है और महंगाई बढ़ी है।
माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार में पिछले 5 वर्षों में खाद्य वस्तुओं के दाम में भारी वृद्धि हुई है। इस दौरान आटे के दाम 28 प्रतिशत, सरसों के तेल के दाम 71 प्रतिशत, वनस्पति तेल के दाम 112 प्रतिशत, सूरजमुखी के तेल के दाम 107 प्रतिशत तथा पाम तेल के दाम 128 प्रतिशत से अधिक बढ़े हैं।
इसके अतिरिक्त दूध-सब्जियों आदि के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के बावजूद देश के किसानों ने खाद्यान्न उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि की है।
वर्ष 2014 में जहां 23.48 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ, वहीं पिछले वर्ष 28.52 करोड़ टन का उत्पादन किया गया। इस दौरान दालों के उत्पादन में भी 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इसके बावजूद सरकार महंगाई पर लगाम कसने में विफल रही है और आज गोदामों में करोड़ों टन अनाज पड़ा है जिसे सरकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ता राशन सभी को उपलब्ध करवाना होगा। तभी इस महंगाई पर रोक संभव है।
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