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सीएसआईआर-आईएचबीटी ने मनाया अपना 40वां स्थापना दिवस

• LAST UPDATED : July 2, 2022

डा0 टी0 रामास्वामी, डा0 संजय कुमार व अन्य संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 तथा ‘आईएचबीटी का इतिहास’ का विमोचन करते हुए।

सीएसआईआर-आईएचबीटी ने मनाया अपना 40वां स्थापना दिवस

  • पुष्प फसलों के क्षेत्र में 350 हेक्टेयर तक का विस्तार किया गया
  • प्रदेश में केसरी की खेती पर जोर
  • संस्थान में सीएसआईआर-टीकेडीएल प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस की स्थापना की गई
  • डा0 टी0 रामास्वामी ने संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 तथा ‘आईएचबीटी का इतिहास’ का विमोचन किया।

इंडिया न्यूज, पालमपुर। (Palampur Himachal Pradesh)

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं विभिन्न स्कूलों से आए छात्र व छात्राऐं।

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर CSIR- Institute of Himalayan Bioresource Technology (IHBT), Palampur, ने शनीवार को अपना 40वां स्थापना दिवस (40th foundation day) मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ0 संजय कुमार (Director of the Institute Dr. Sanjay Kumar) ने मुख्य अतिथि पद्मश्री, पद्म-विभूषण एवं शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित डा0 टी0 रामास्वामी, पूर्व सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं डिस्टिग्विश्ड प्रोफेसर ऑफ ऐमिनेंस, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई (Padma Shri, Padma-Vibhushan and Shanti Swarup Bhatnagar Awardee Dr. T. Ramaswamy, Former Secretary, Department of Science and Technology, Government of India and Distinguished Professor of Eminence, Anna University, Chennai)का अभिनन्दन एवं स्वागत करते हुये उनका संक्षिप्त परिचय दिया।
इस अवसर पर डा0 टी0 रामास्वामी ने ‘हिमालयी जैवमंडल के  संपोषणीय जैव-आर्थिकी पथ की ओर आईएचबीटी पथ अन्वेषक के रूप में’ विषय पर स्थापना दिवस संभाषण दिया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं  देते हुए उन्होंने इस  संस्थान के नामकरण एवं उदेश्यों के बारे में बताया कि यह संस्थान समाजिक, पर्यावरणीय, औद्योगिक और अकादमिक लाभ हेतु हिमालयी जैवसंपदा से प्रक्रमों, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की खोज, नवोन्मेष, विकास एवं प्रसार के लक्ष्य के लिए सतत प्रयासरत है। अपने संबोधन में उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयास करें। जैवआर्थिकी को बढावा देने में हमारी क्या ताकत है तथा इस क्षेत्र में क्या अवसर है, के बारे में विस्तार से बताया। पिछले 40 वर्षों में समाज की सेवा में सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए योगदान को उजागर करने के अलावा, माननीय डॉ रामासामी ने संस्थान के लिए भविष्य के अनुसंधान और विकास पथ को भी चिह्नित किया। उन्होंने भारतीय हिमालय जीवमंडल के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में उपलब्ध जैव संसाधनों के सतत उपयोग के माध्यम से तकनीकी समाधानों के आधार पर जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत जनादेश को पुनर्स्थापित करने का सुझाव दिया।

सतत विकास के लिए तीन स्तंभों यानी सहने योग्य, न्यायसंगत और व्यवहार्य पर जोर देने का आग्रह

उन्होंने सतत विकास के लिए तीन स्तंभों यानी सहने योग्य, न्यायसंगत और व्यवहार्य पर जोर दिया। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में नवोन्मेष, तथा जैवआर्थिकी  उत्थान के लिए जैव आधारित उत्पादों के मूल्यवर्धन पर बल दिया तथा संस्थान से आह्वान किया कि वे भारतीय हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों को स्वीकरते हुए जैवआर्थिकी  की दिशा में आगे बढ़ें। डा. रामास्वामी ने संस्थान की विभिन्न शोध गतिविधियों एवं सुविधाओं का अवलोकन भी किया।
उनकी यात्रा के दौरान, सीएसआईआर-आईएचबीटी में समग्र सामाजिक लाभ के लिए विकसित विभिन्न किसानों और उद्योग केंद्रित प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शित किया गया।

संस्थान के निदेशक डा0 संजय कुमार ने संस्थान के वर्ष 2021-22 के वार्षिक प्रतिवेदन को प्रस्तुत किया।

इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा0 संजय कुमार ने संस्थान के वर्ष 2021-22 के वार्षिक प्रतिवेदन को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अरोमा मिशन चरण-ii के अन्तर्गत संस्थान ने 1398 हेक्टेयर क्षेत्र को सगंध फसलों अंतर्गत समाहित किया और बारह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी खेती का विस्तार किया। वर्ष के दौरान, हिमाचल प्रदेश ने 7.3 टन तेल के उत्पादन के साथ देश में सगंध गेंदे के तेल के शीर्ष उत्पादक के रूप में अपना स्थान बनाए रखा है। कुल मिलाकर, हमारे संस्थान से जुड़े किसानों द्वारा सगंध फसलों की खेती से लगभग ₹15.66 करोड़ मूल्य के सगंध तेल का उत्पादन किया गया।

पुष्प फसलों के क्षेत्र में 350 हेक्टेयर तक का विस्तार किया गया

सीएसआईआर-फ्लोरिकल्चर मिशन के अंतर्गत, पुष्प फसलों के क्षेत्र में 350 हेक्टेयर तक का विस्तार किया गया, जिससे 1004 किसानों लाभान्वित हुए। संस्थान में इस वर्ष ट्यूलिप गार्डन (Tulip garden) एक मुख्य आकर्षण रहा। संस्थान के प्रयासों से भारत के कई राज्यों में 448 हेक्टेयर क्षेत्र को स्टीविया की खेती के अंतर्गत लाया गया। देश में हींग की खेती के लिए 214 स्थानों पर 4 हेक्टेयर क्षेत्र को खेती के अन्तर्गत लाते हुए 33000 पौधों की आपूर्ति की गई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में किसानों तक बेहतर पहुंच के लिए 519 किसानों और 53 कृषि अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।

प्रदेश में केसरी की खेती पर जोर

राज्य कृषि विभाग के सहयोग से प्रदेश में किसानों को 6859 किलो केसर के कंदों की आपूर्ति की गई ताकि केसर उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। संस्थान द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में सेब की कम-चिलिंग किस्मों का विस्तार  लगभग 117.5 एकड़ क्षेत्र में किया गया। इन प्रयासों का उल्लेख भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 जुलाई 2021 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी किया गया। एक नई पहल के अन्तर्गत, आईएचबीटी ने हिमाचल में दालचीनी की संगठित खेती की शुरुआत की।

संस्थान में सीएसआईआर-टीकेडीएल प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस की स्थापना की गई

संस्थान में सीएसआईआर-टीकेडीएल प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस की स्थापना की गई, जिसमें सोवा रिग्पा (तिब्बती चिकित्सा पद्धति) पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां इसे प्रलेखित और डिजिटाइज किया जा रहा है। सीएसआईआर-उच्च तुंगता जीवविज्ञान केंद के प्रक्षेत्र जीनबैंक को 40 संकटग्रस्त पौधों की प्रजातियों से समृद्ध किया गया।

डा0 टी0 रामास्वामी ने संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 तथा ‘आईएचबीटी का इतिहास’ का विमोचन किया।

इस अवसर पर डा0 टी0 रामास्वामी ने संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 तथा ‘आईएचबीटी का इतिहास’ का विमोचन किया। इस अवसर पर कृषि, जैव, रसयान, आहारिकी एवं खाद्य तथा पर्यावरण प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध उपलब्धियों के संग्रह भी विमोचित किए गए। साथ में तुलसी की खेती एवं कई अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया। समारोह के दौरान हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सिक्किम सरकार के अलावा 03 अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए।

ये रहे उपस्थित

समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा0 एस0 के0 शर्मा, चिन्मय तपोवन ट्रस्ट की निदेशक डा0 क्षमा मैत्रे, आईवीआरआई, आईजीएफआरआई, पालमपुर विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रतिभागिता की।  इस समारोह में जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय पालमपुर व न्यूगल पब्लिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल बिंद्राबन (पालमपुर) के 70 छात्रों  व 4 शिक्षकों नें भाग लिया एवं प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया। सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्थापना दिवस में स्थानीय शैक्षणिक स्टाफ, पूर्व कर्मचारी, स्थानीय उद्यमी एवं उत्पादक एवं मीडिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
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