Dharmpur Farmer News: अजय ने बंजर जमीन को प्राकृतिक खेती से बनाया उपजाऊ, अब वहां अजय उगा रहे है ‘सोना’

इंडिया न्यूज़, धर्मपुर:

Dharmpur Farmer News: ‘कौन कहता है, आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’, इंसानी हौंसले और जीवटता को बयां करती ये पंक्तियां धर्मपुर ब्लॉक के बसंतपुर गांव के प्रगतिशील किसान अजय कुमार के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। अपने मजबूत इरादे, कड़ी मेहनत और सरकार से मिली मदद के बूते अजय कुमार ने बंजर पड़ी जमीन पर प्राकृतिक खेती का बेहतरीन मॉडल पेश कर वहां ‘सोना’ उगाने जैसा काम किया है। रोजगार की तलाश में दौड़ते युवाओं को अजय की सफलता की कहानी उम्मीद बंधाने वाली है कि किस तरह वे अपनों के बीच रहकर खेती बाड़ी को अपनाकर अच्छी खासी आमदनी कमा सकते हैं।

अजय कुमार ने पिछले 70 सालों से बंजर पड़ी लगभग पांच बीघा पुश्तैनी जमीन को अपनी मेहनत से खेती योग्य भूमि में तबदील किया और स्वरोजगार के माध्यम से जीवन को एक नई दिशा देने का न केवल प्रयास किया बल्कि इसमें कामयाब भी हुए हैं। (Dharmpur Farmer News)

प्राकृतिक खेती की शुरुआत अजय ने 2020 में की

50 वर्षीय अजय बताते हैं कि उन्होंने साल 2020 में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की शुरूआत की थी। पहले वे इस भूमि पर जैविक खेती करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने कृषि विभाग से सम्पर्क किया। विभाग के अधिकारियों ने उन्हें सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक किया और उन्होंने इसे अपनाने का फैसला किया। विकास खण्ड धर्मपुर के आतमा परियोजना के खण्ड तकनीकी प्रबंधक व सहायक तकनीकी प्रबंधक के नियमित निरीक्षण व महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों से आज इस भूमि पर अच्छी पैदावार हो रही है। उनका कहना है कि अच्छी आमदनी के साथ साथ जहर मुक्त खेती से पौष्टिक उत्पादों की पैदावार आत्म संतुष्टि देने वाली है। (Dharmpur Farmer News)

मिश्रित खेती से हुआ इतना फायदा

अजय कुमार बताते हैं कि वे भूमि पर मिश्रित खेती के मॉडल का प्रयोग करते हैं। इस तरह की खेती द्वारा मुख्य फसल बोनस के रूप में प्राप्त होती है और सहायक फसल लागत को पूरा करती है। उन्होंने पहले पहल मटर, पालक, धनिया, टमाटर, मिर्च और प्याज की फसल उगाई थी और शुष्क भूमि पर उन्हें आशा से अधिक अच्छे परिणाम मिले। प्राकृतिक खेती से प्राप्त फसल जल्दी खराब नहीं होती तथा अधिक समय तक भण्डारण किया जा सकता है।

वर्तमान में उन्होंने अपनी पांच बीघा जमीन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत पालक, गोबी, टमाटर, भिंडी, आलू, चुकंदर, लहसुन, प्याज, बैंगन और खीरे की फसल उगाई है, साथ ही सह-फसलों में मटर, धनिया, मेथी, फ्रेंचबीन आदि की फसलें उगाई हैं और अच्छी पैदावार के साथ-साथ ये उत्पाद उच्च गुणवत्तायुक्त, शुद्ध व पौष्टिक हैं। उनका कहना है कि आने वाले समय में वे और अधिक भूमि पर खेती शुरू करेंगे ताकि उनके इन प्रयासों को अधिक विस्तार दिया जा सके। (Dharmpur Farmer News)

इन सारे कामों में अजय की धर्मपत्नी पूनम भी बराबर सहयोग करती हैं। वे सभी लोगों से आग्रह करते हुए प्राकृतिक खेती करने को कहती हैं, ताकि बच्चों को घर पर जहर मुक्त और पौष्टिक आहार मिल सके।

जमीन में नमी बनाए रखने को आच्छादन विधि का इस्तेमाल

अजय बताते हैं कि उन्होंने जिस जमीन पर खेती शुरू की वह शुष्क है और उसमें पानी की मात्रा कम है। उस भूमि पर खेती केवल आच्छादन विधि द्वारा सम्भव है। उन्होंने बताया कि भूमि की नमी बनाए रखने के लिए वे इस तकनीक का उपयोग करते हैं। इससे मिट्टी में पानी की कमी नहीं होती, पानी सतह पर नहीं रहता और जमीन में अवशोषित हो जाता है। इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है। आच्छादन से मिट्टी में केचुंओं की संख्या प्राकृतिक रूप से बढ़ती है जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ती है। आच्छादन से भूमि में वायु प्रवाह बना रहता है। इससे भूमि की संरचना में सुधार होकर त्वरित गति से धरण (ह्यूमस) का निर्माण होता है जो अच्छी फसल के लिए उपयोगी है।

प्राकृतिक विधि से तैयार करते हैं कीटनाशक

अजय ने बताया कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अनुसार खेतों में भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने, जीवाणु संख्या बढ़ाने आदि के लिए विभाग द्वारा बताए उपाय जैसे जीवामृत, घनजीवामृत के साथ-साथ कीटों व बीमारियों के नियंत्रण के लिए अग्नि-अस्त्र, दशपर्णी अर्क, प्राकृतिक विधि से तैयार कीटनाशक भी स्वंय तैयार करते हैं व निरंतर प्रयोग कर रहे हैं। यह सभी घटक शून्य लागत से तैयार होते हैं।

सरकारी मदद से मिला संबल

अजय बताते हैं कि सरकारी मदद से उन्हें बड़ा संबल मिला है। उन्होंने खेत के चारों ओर उन्होंने सोलर युक्त बाड़बन्दी लगाई है। साथ ही सिंचाई सुविधा के लिए भू-संरक्षण विभाग के माध्यम से ट्यूब वैल लगाया है जिस पर सरकार द्वारा उपदान दिया गया है। आतमा परियोजना के माध्यम से उन्हें जीवामृत,घनजीवामृत, अग्नि-अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी अर्क तैयार करने के लिए प्लास्टिक ड्रम्स तथा फलदार पौधे मुहैया करवाए गए हैं।

क्या कहते हैं उपायुक्त (Dharmpur Farmer News)

उपायुक्त अरिंदम चैधरी ने अजय कुमार के प्रयासों की सराहना करते हुए उनकी सफलता की कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणादायी है। गांव में प्रत्येक व्यक्ति के पास अमूमन जमीन उपलब्ध होती ही है, जिसका अगर सदुपयोग किया जाए तो घर पर स्वरोजगार हासिल किया जा सकता है साथ ही इससे आत्म संतुष्टि का भी अहसास होगा।

सरकारी अनुदान का प्रावधान

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा परियोजना) मण्डी के परियोजना निदेशक डॉ हितेन्दर सिंह ठाकुर बताते हैं प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अर्न्तगत किसानों को सामूहिक व व्यक्तिगत रूप से विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, भ्रमण कार्यक्रम, प्रदर्शन प्लॉट, फार्म स्कूल जैसी सुविधाएं सामूहिक रूप से जबकि देशी गाय खरीदने, गौशाला को पक्का करने, संसाधन भण्डार व तीन ड्रम की खरीदारी पर अनुदान की सुविधा प्रदान की जा रही है।

मण्डी के जिला मण्डी में वर्ष 2018-19 से जनवरी 2022 तक 1489.65 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है व लगभग 33733 किसानों को इस खेती से जोड़ा जा चुका है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती कर किसानों को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाए जा रहे हैं जिससे उन्हें उत्पाद के अच्छे दाम प्राप्त हो सकंे।

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा परियोजना) के खण्ड तकनीकी प्रबंधक (बी.टी.एम.) धर्मपुर सरिता ठाकुर का कहना है कि शुष्क भूमि पर फसल तैयार करना मुश्किल था परन्तु अजय कुमार ने यह मुमकिन कर दिखाया है, साथ ही इस भूमि पर नमी बनाए रखने के लिए आच्छादन प्रक्रिया का प्रयोग कर वे 70 से 80 प्रतिशत पानी की बचत कर रहे हैं। अजय के पास देशी गाय न होने पर भी वे संसाधन भण्डार से गोबर, गोमूत्र आदि ले कर स्वयं घटक तैयार कर रहे हैं। विकास खण्ड धर्मपुर में लगभग 3115 किसानों को प्राकृतिक विधि द्वारा खेती से जोड़ा जा चुका है। इनमें सबसे अधिक भूमि पर प्राकृतिक खेती करने वाले अजय कुमार ने मिसाल कायम की है और वे बधाई के पात्र हैं।

वहीं कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा परियोजना) के सहायक तकनीकी प्रबंधक (ए.टी.एम.) धर्मपुर अमनदीप ने बताया कि अजय कुमार प्राकृतिक खेती के चारों सिद्धांतों का प्रयोग कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। (Dharmpur Farmer News)

क्या है प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना

हिमाचल सरकार ने वर्ष 2018-19 से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना आरम्भ की है और इसके अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (जहर मुक्त खेती) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के खर्च को कम करना और आय को बढ़ाना व खाद्य पदार्थों को रसायन मुक्त करना है। इस प्रणाली से किसी भी खाद्यान्न, सब्जी या बागवानी की फसल की लागत को कम और आय में वृद्धि की जा सकती है साथ ही जलवायु, पर्यावरण और भूमि प्रदूषण मुक्त होगी।

इस प्रणाली में फसल की उपज के लिए आवश्यक संसाधनों व घटकों को देशी गाय के गोबर, गोमूत्र व स्थानीय पेड़-पौधों की पत्तियों द्वारा स्वयं तैयार किया जाता है। इसके उपयोग से फसल किसी भी प्रकार के रसायन से मुक्त होती है।

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Sachin

Learner , Hardworking , Aquarius hu toh samajh lo kya kya hounga .....

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