India News(इंडिया न्यूज़), Fake Degree Case : मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से बनी हुई फर्जी डिग्रियों पर वहीं के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ही हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, इसका खुलासा अंतिम नमूनों की रिपोर्ट में शिमला की फोरेंसिक लैब जुन्गा ने की ओर से जारी किया गया है। जिसके बाद जांच कर रही एसआईटी ने इसका दावा किया है। वहीं अब विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के हस्ताक्षरों को मार्कशीटों पर किए गए हस्ताक्षरों से मिलाया जा रहा है। जिसके बाद इसी महीने पुलिस एसआईटी की ओर से निजी विश्वविद्यालय के खिलाफ सोलन कोर्ट में इसकी आखरी चार्जशीट को पेश किया जाएगा। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो से हैं की 46 हजार फर्जी डिग्री आवंटन का आरोप विश्वविद्यालय पर है। वहीं इस मामले में अब करीब 20 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश करने की तैयारी पुलिस ने कर ली है।
दरअसल, पुलिस एसआईटी का यह दावा है कि उनके पास आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। जिसके बाद यह भी आरोप है कि एजेंट फर्जी डिग्री दिलाने का सौदा संस्थान के कहने पर करते थे। वहीं फर्जी डिग्रियों की जांच होने पर यह भी पता लगा है कि 12 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची गईं हैं। उस 12 राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और बंगलूरू शामिल हैं। आपको बता दें कि साल 2010 से ही डिग्रियां बेचने का यह फर्जीवाड़ा चल रहा था। जैसे ही विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र पूरा हो जाता था, तो उसी के बाद से ही फर्जी डिग्रियां बिकना शुरू हो जाती थीं। इस बैच कर एजेंट पैसों का नकद लेन-देन करते थे। बता दें हाईकोर्ट की ओर से गठित टीम ने पाया कि विश्वविद्यालय की केवल 2,600 डिग्रियां ही सही पाई गईं हैं।
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