Ganesh Chaturthi: भारत में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव हर साल मनाए जाते हैं, और इनमें से एक है “गणेश चतुर्थी” जो भगवान गणेश की पूजा और मनाने का महत्वपूर्ण दिन है। यह उत्सव हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक आनंदमय और धार्मिक उत्सव है जिसका मतलब है विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करना और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना।
गणेश चतुर्थी का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका मानना है कि यह पर्व महाभारत काल से मनाया जा रहा है। इसे पहली बार महाराष्ट्र के चत्रपति शिवाजी द्वारा 17वीं सदी में मनाया जाने का कहा जाता है। इसके बाद, मुंबई के स्वतंत्रता संग्राम के समय भगवान गणेश की पूजा को सामाजिक एकता का प्रतीक माना गया और यह पर्व उत्साह और आत्मविश्वास के साथ मनाया जाने लगा है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच होती है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित कर पूजा और आराधना की जाती है। इसे 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को गंगा या समुद्र में विसर्जन किया जाता है, जिसे “विसर्जन” कहा जाता है।
भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “विद्यान्दायक” के रूप में जाना जाता है, भारतीय समुदाय में बहुत प्रमुख हैं। वे ज्ञान, विद्या, और सफलता के देवता माने जाते हैं और हर कार्य में सफलता पाने के लिए उनकी कृपा की आवश्यकता मानी जाती है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा करके लोग उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व है क्योंकि यह एकता, श्रद्धा, और समरसता की भावना को प्रकट करता है। इसे बड़े धूमधाम से मनाने के साथ ही विभिन्न स्थानों पर परेड्स और कला का प्रदर्शन किया जाता है। इस दिन के पर्व का महत्व है क्योंकि यह हमें भगवान गणेश के आदर्शों का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारे मन में सकारात्मक भावना पैदा करता है।
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्यारा त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के माध्यम से सफलता, खुशी, और शुभकामनाओं की प्राप्ति का संकेत देता है। यह त्योहार विभिन्न समाजों में एकता और समरसता की भावना को बढ़ावा देता है और सभी को एक साथ मिलकर खुशियों का त्योहार मनाने का मौका प्रदान करता है।
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